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22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे मनरेगा कर्मचारी, जानिए सरकार से क्यों हैं नाराज - MNREGA employees on strike

Demands of MNREGA employees. झारखंड के मनरेगा कर्मचारी 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इससे पहले 18 तारीख से सांकेतिक हड़ताल करेंगे. इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से विभिन्न योजनाओं के कामकाज प्रभावित होंगे.

MNREGA employees announced to go on indefinite strike from July 22
फाइल फोटो (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 17, 2024, 9:08 AM IST

रांचीः राज्य के मनरेगा कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की है. अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में वादा निभाओं स्थाई करो अभियान के तहत 18 से 20 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल और 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है. झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि इस हड़ताल की वजह से 25 लाख मजदूरों का मजदूरी भुगतान प्रभावित होगा और राज्य सरकार के द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के कामकाज प्रभावित हो जाएंगे.

सेवा स्थायीकरण है मुख्य मांग

राज्य में संविदा पर करीब 6000 मनरेगा कर्मचारी हैं, जो विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं. इनकी मांगों में सबसे प्रमुख मांग सेवा स्थायीकरण है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री आवास घेराव से लेकर झामुमो केंद्रीय कार्यालय घेराव और जिलास्तर पर पिछले दिनों प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को कार्यक्रम के माध्यम से ज्ञापन भेजने का काम किया गया था.

संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि प्रस्तावित हड़ताल की सूचना मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, प्रधान सचिव और मनरेगा आयुक्त को 20 दिन पूर्व ही दे दी गई है. इसके बावजूद हमारी मांगों पर कोई पहल नहीं की गई. बाध्य होकर हमलोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश हैं. हड़ताल की वजह से सरकार के द्वारा मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित आम बागवानी, बिरसा सिंचाई संवर्धन कूप, वीर पोटो हो खेल मैदान, अबुआ आवास सहित कई महत्वपूर्ण योजना का क्रियान्वयन प्रभावित होगा.

राज्य सरकार के द्वारा मनरेगा कर्मचारियों से प्रखंड स्तर पर संचालित सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत संविदा पर कर्मचारियों को रखा गया है, जो लंबे समय से कार्यरत हैं. समय-समय पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये आंदोलन करते रहे हैं. इनका कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से संविदा संवाद कार्यक्रम में आकर मनरेगाकर्मियों की सेवा स्थायी करने का खुले मंच से वादा किया गया था उसे पूरा करने की जरूरत है. आज सरकार के 5 साल होने को है, उसके बावजूद मनरेगाकर्मियों की मांग वैसी की वैसी है.

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