राजसमंद. दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा को लेकर पहले राजस्थान विधानसभा में विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ और फिर संसद में सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ की ओर से सवाल उठाने के बाद मिराज समूह के सीएमडी मदन पालीवाल ने शनिवार देर शाम प्रेसवार्ता के माध्यम से अपने मन की बात रखी. पालीवाल ने कहा कि जिनको विश्वास स्वरूपम बोलना तक नहीं आता, वो इस प्रतिमा को लेकर कमेंट कर रहे हैं. मैं स्थानीय लोगों को क्लीयर कर देना चाहता हूं कि वे भ्रमित न हो. यह धर्म परिसर नहीं है, आस्था का परिसर है. विश्वास हो तो कंकर भी शंकर बन जाता है और विश्वास न हो तो शंकर भी कंकर संभव है. पत्रकारों के सवालों पर पालीवाल ने कहा कि मैं इसे ताला भी लगा दूंगा, मगर जरा सोच कर देखिए प्रतिदिन कितने लोगों का घर यहां से चल रहा है.
मिराज समूह के सीएमडी पालीवाल बोले कि मैं जनप्रतिनिधियों के लिए कुछ नहीं बोलता हूं, लेकिन यह स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि जिनको विश्वास स्वरूपम बोलना नहीं आता, वे कमेंट कर रहे हैं. इससे ज्यादा मैं और क्या कहूं. पालीवाल ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, मगर पराजित नहीं. मीडियाकर्मी प्रवेश से लेकर जलाभिषेक तक खुद देखे और फिर अपने अनुभव साझा करें. असत्य हो तो उसका खंडन करें. झूठी बात बार-बार बोलने से कई बार लोग उसे सच मानने लग जाते हैं, इसलिए मुझे स्थानीय लोगों को स्पष्ट करना है कि कोई भ्रमित न हो. वास्तविकता आप खुद आकर देख सकते हो कि आखिर सच्चाई क्या है.
यह दर्शनीय स्वरूप है, पूजनीय नहीं :सीएमडी पालीवाल ने कहा कि दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का स्थल धर्म परिसर नहीं है. यह एक आस्था का परिसर है, एक विश्वास का परिसर है. यह दर्शनीय स्वरूप है, पूजनीय नहीं है. हालांकि यह अपने अपने श्रद्धा भाव की बात भी है. लोग जूते चप्पल की बात तो दूर, मोजे पहनकर भी शिव प्रतिमा के ऊपर नहीं जा रहे हैं. ऊपर भी विधि विधान से प्रतिमा पर लोग जलाभिषेक कर रहे हैं. श्रद्धा व विश्वास से ही यह स्वरूप खड़ा हुआ है.
ज्यादा कमाई लग रही है, तो एक साल ठेके पर चला लीजिए : मदन पालीवाल बोले कि नाथद्वारा में विश्वास स्वरूपम देखने 15 लाख लोग आ चुके हैं. इससे लोग गणित लगा रहे हैं कि करोड़ों रुपए कमा लिए, जिन्हें भी यह गलतफहमी है, तो एक साल के लिए ठेके पर चला कर देख लीजिए. यहां सनातन संस्कृति के बारे में बताया जा रहा है. यह व्यवसाय या व्यापार नहीं है. इसे मेंटेन करने के लिए कितना खर्च हो रहा है, वह देख लीजिए. यहां नन्दी पाल रहे हैं, गायों को पाला जा रहा है, पक्षियों के लिए दाना डाल रहे हैं. शिव प्रतिमा देखें और उसके बाद लाइट एंड साउंड शो भी देखकर जाना, ताकि वास्तविकता पता चले. आज विश्व व भारत में धर्म के नाम पर क्या हो रहा है, उसे भी देख लीजिए और समझ लीजिए. क्योंकि मैंने खुद लिखा और बोला है, जिसे फिल्माया गया है. लाइट एंड साउंड के माध्यम से सातों दिन अलग-अलग फिल्मांकन हो रहा है.
दर्शन और प्रदर्शन के अंतर को समझना होगा :पालीवाल बोले कि लोग किसी भी जगह जाए, वहां अगर सच्चे मन व आस्था से जाएगा, तो वहां पर उसे वैसा ही महसूस होगा. चाहे एकलिंगनाथ के मंदिर ही चले जाए और अगर आस्था नहीं है, तो वहां पर भी शांति या सुकून नहीं मिलेगा. हर व्यक्ति को कहीं पर भी जाने से पहले यह सब सोच विचार करना होगा. यह विश्वास की बात है. पालीवाल ने मीराबाई का उदाहरण देते हुए कहा कि विष भी अमृत बन गया. भक्त प्रहलाद के विश्वास की वजह से ही नृसिंह अवतार हुआ. इसलिए यह तो विश्वास की बात है. किसी भी जगह दर्शन के लिए जाए तो वह तो लोगों की अपनी अपनी श्रद्धा की बात है.