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गुलाबी ठंड में जैसलमेर पहुंचे प्रवासी पक्षी, डीएनपी क्षेत्र में दिखा मंगोलिया का राष्ट्रीय पक्षी 'साकर फाल्कन'

जैसलमेर के डीएनपी क्षेत्र में मंगोलिया के राष्ट्रीय पक्षी साकर फाल्कन को देखा गया है. यह दूसरी सबसे बड़ी फाल्कन प्रजाति में से एक है.

जैसलमेर में प्रवासी पक्षी
जैसलमेर में प्रवासी पक्षी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 9, 2024, 7:45 AM IST

जैसलमेर :जिले में इन दिनों सुबह और शाम को सुहावने मौसम के साथ ही गुलाबी ठंड का अहसास शुरू हो गया है. दीपावली के बाद मौसम परिवर्तन होने से सैलानी भी जैसलमेर पहुंचने शुरू हो गए हैं. इन्हीं सैलानियों के साथ विदेशी प्रवासी पक्षियों का भी आगमन शुरू हो गया है. जैसलमेर के डीएनपी क्षेत्र में मंगोलिया के राष्ट्रीय पक्षी साकर फाल्कन को देखा गया है. यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फाल्कन प्रजाति में से एक है. यह बाज शिकार की खोज में 200 मील प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है.

जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पैमाणी व मूसा खान को यह पक्षी नजर आया है. गौरतलब है कि सर्दी की दस्तक के साथ ही अब विदेशी पक्षियों का भी जैसलमेर पहुंचना शुरू हो गया है. उत्तरी व मध्य एशिया के साथ ही यूरोप में अत्यधिक ठंड होने के कारण यह पक्षी उड़ान भरकर भारत पहुंचते हैं, जिसके बाद जैसलमेर व फलोदी के पास खीचन इनका पसंदीदा स्थल है. ऐसे में जैसलमेर में अच्छी बरसात होने के बाद तालाब पानी से लबालब भरे हुए हैं. इससे कुरजां यूरेशियन रोलर, वेरिएबल व्हिटियर, रोजी स्टार्लिंग, स्पॉटेड फ्लाईकैचर और स्टेपी ईगल देखने को मिले हैं. वहीं, पश्चिम एशिया से रूफस टेल्ड स्क्रब रॉबिन भी पहुंच चुकी है.

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शिकार करने भी आते हैं कई पक्षी :आपको बता दें कि विदेशी पक्षियों के लिए जैसलमेर काफी पसंदीदा जगह है. यहां का शांत वातावरण होने से पक्षी यहां कई महीनों तक प्रवास करते हैं. मिडिल ईस्ट से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके लोंग लेग बर्ड शिकार करने जैसलमेर आता है. यहां वह सांडा, रेगिस्तानी चूहा व सांप का शिकार करता है. वहीं, अन्य कई पक्षी कैर व बैर खाने के लिए आते हैं. कुछ वल्चर्स (गिद्द) शिकारी पक्षियों द्वारा शिकार किए गए जीव जंतु को खाने के लिए आते हैं, क्योंकि ये खुद शिकार नहीं करते हैं.

अप्रैल में लौट जाते हैं प्रवासी पक्षी :जैसलमेर में बरसात होने के बाद से ही विदेशी पक्षियों का जैसलमेर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इसके बाद यहां की ठंड भी पक्षियों के लिए सामान्य होती है, जिससे वे मार्च तक यहीं रहने के बाद वतन वापसी की उड़ान भरते हैं. करीब छह माह के शीतकालीन प्रवास में ये पक्षी यहां हजारों की तादाद में एकत्रित होकर क्षेत्र को पर्यटक स्थल का रूप दे देते हैं.

किसानों के लिए यह प्रवासी पक्षी फायदेमंद :पानी से भरे जल स्रोतों में इस साल प्रवासी पक्षियों की अच्छी संख्या में आवक की उम्मीद है. पक्षी जलभराव वाले क्षेत्रों में पहुंचकर अपनी लंबी यात्रा की थकान को दूर करते हैं. ताजा पानी में भरपूर मात्रा में उपलब्ध जलीय कीटो, उनके लार्वा और जलीय वनस्पतियों का सेवन कर पोषण प्राप्त करते हैं. इन पक्षियों से खड़ीन व खेतों के किसानों को विशेष फायदा पहुंचता है. भोजन की तलाश में अपने कदमों से यह पानी में हलचल बनाकर मिट्टी को हिलाते रहते हैं और बीटों के अपशिष्ट से खाद उपलब्ध करवाते हैं.

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