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मौनी अमावस्या 2025 को लेकर मत पालें गफलत, इस दिन रखें व्रत, करें पूजा-पाठ - MAUNI AMAVASYA 2025

वैसे तो हर साल मौनी अमावस्या आती है, लेकिन महाकुंभ 2025 के चलते इसका महत्व बढ़ गया है. जानिए विस्तार से.

Mauni Amavasya 2025
मौनी अमावस्या 2025 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 22, 2025, 11:44 AM IST

हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों का महत्व है. इन तिथियों पर जातक विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं. वैसे मौनी अमावस्या पौष महीने में हर बार आती है, लेकिन इस बार महाकुंभ 2025 चल रहा है, जिस वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखा जाता है. यह तिथि पूर्वजों को भी याद करने की होती है. आइये विस्तार से जानते हैं.

लखनऊ के सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है और अगर पूर्वजों की याद में तर्पण और दान किया जाए तो उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां उदया तिथि को ध्यान में रखकर व्रत रखे जाते हैं इसलिए इस बार मौनी अमावस्या 2025 बुुधवार 29 जनवरी को मनाई जाएगी.

पितरों का किया जाता है तर्पण
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक मौनी अमावस्या 2025 पर स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है, लेकिन कुछ नियमों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद आगे की विधि करनी चाहिए.

जानिए शुभ मुहूर्त
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि मौनी अमावस्या 2025 की शुरुआत मंगलवार 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट से होगी और अगले दिन बुधवार 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. इस वजह से व्रत और पूजा बुधवार को की जाएगी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें. उसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें.

इन मंत्रों का करें जाप
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूजा के दौरान इन मंत्रों के जाप से जातक को कई लाभ होंगे. इन मंत्रों को जपने में सावधानी बरतनी चाहिए.

  • ऊँ पितृ देवताए नम:
  • ऊँ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमही तन्नो विष्णु प्रचोदयात.
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

करें ये सटीक उपाय

  1. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर श्राद्ध करें और जरुरतमंदों को वस्त्र, धन और अनाज का दान करें.
  2. इसके साथ-साथ गाय, कौवे, कुत्ते को भी भोजन दें.
  3. इस दिन पीपल के वृक्ष पर जल अवश्य चढ़ाएं और शाम को एक दीप जलाएं.
  4. राहु और केतु ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का भी दान करना चाहिए.
  5. गरीबों को काले कंबल का दान करें.

पढ़ें: मंगल गोचर 2025: बदल जाएगी आपकी दुनिया, ग्रहों के सेनापति का हुआ राशि परिवर्तन

हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों का महत्व है. इन तिथियों पर जातक विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं. वैसे मौनी अमावस्या पौष महीने में हर बार आती है, लेकिन इस बार महाकुंभ 2025 चल रहा है, जिस वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखा जाता है. यह तिथि पूर्वजों को भी याद करने की होती है. आइये विस्तार से जानते हैं.

लखनऊ के सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है और अगर पूर्वजों की याद में तर्पण और दान किया जाए तो उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां उदया तिथि को ध्यान में रखकर व्रत रखे जाते हैं इसलिए इस बार मौनी अमावस्या 2025 बुुधवार 29 जनवरी को मनाई जाएगी.

पितरों का किया जाता है तर्पण
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक मौनी अमावस्या 2025 पर स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है, लेकिन कुछ नियमों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद आगे की विधि करनी चाहिए.

जानिए शुभ मुहूर्त
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि मौनी अमावस्या 2025 की शुरुआत मंगलवार 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट से होगी और अगले दिन बुधवार 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. इस वजह से व्रत और पूजा बुधवार को की जाएगी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें. उसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें.

इन मंत्रों का करें जाप
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूजा के दौरान इन मंत्रों के जाप से जातक को कई लाभ होंगे. इन मंत्रों को जपने में सावधानी बरतनी चाहिए.

  • ऊँ पितृ देवताए नम:
  • ऊँ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमही तन्नो विष्णु प्रचोदयात.
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

करें ये सटीक उपाय

  1. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर श्राद्ध करें और जरुरतमंदों को वस्त्र, धन और अनाज का दान करें.
  2. इसके साथ-साथ गाय, कौवे, कुत्ते को भी भोजन दें.
  3. इस दिन पीपल के वृक्ष पर जल अवश्य चढ़ाएं और शाम को एक दीप जलाएं.
  4. राहु और केतु ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का भी दान करना चाहिए.
  5. गरीबों को काले कंबल का दान करें.

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