बैंकाक : भारतीयों के प्रमुख टूरिस्ट कंट्री के रूप में शुमार थाईलैंड ने गुरुवार 23 जनवरी 2025 को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है. इसके साथ ही देश में यह कानून भी बन गया है. थाईलैंड समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला और एशिया का तीसरा देश बन गया है. इससे पूर्व एशिया में नेपाल और ताइवान में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जा चुकी है.
इस कानून के लागू होने के साथ ही यहां पर पहले ही दिन सैकड़ों शादियां होने की उम्मीद है. वहीं LGBTQ+ समुदाय के लोगों को थाईलैंड में समलैंगिक शादी करने का कानूनी दर्जा मिल जाएगा. बता दें कि थाईलैंड में करीब 20 सालों से LGBTQ+ समुदाय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए संघर्षरत थे. इस कानून को मान्यता मिल जाने से 18 वर्ष या इससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति सेम सेक्स में शादी कर सकता है.
थाईलैंड की संसद के दोनों सदनों में मैरिज इक्वालिटी एक्स को पारित किया गया था. साथ ही थाईलैंड की संसद ने सिविल और कॉमर्शियल कोड में भी संशोधन किया है.
पार्टनर को कानून के तहत मिलेंगे सभी अधिकार
गौरतलब है कि थाईलैंड की संसद ने सिविल और कॉमर्शियल कोड में ‘हसबैंड और वाइफ’ के स्थान पर ‘इंडिविजुअल और मैरिज पार्टनर’ कर दिया है. साथ ही कानून में संशोधन कर LGBTQ+ कपल्स को वह सभी अधिकार दिए गए हैं, जो एक सामान्य शादी में पति-पत्नी को प्रदान किए जाते हैं. इसके अंर्तगत समलैंगिक कपल्स को कानूनी, वित्त और मेडिकल में बराबर का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा संपत्तियों में ज्वाइंट एक्सेस का राइट दिया गया है.
दुनिया के 31 देशों में कानूनी मान्यता
अमेरिका, जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस के अलावा विश्व के 31 देशों में समलैंगिक विवाह को कानून मान्यता प्राप्त है. दूसरी तरफ कई ऐसे भी देश हैं जहां सेम सेक्स मैरिज पूरी तरह से प्रतिबंध है. इनमें ईरान, यमन, नाइजीरिया, ब्रुनेई, कतर के अलावा 13 देश शामिल है. इतना ही नहीं इन देशों में समलैगिक शादी करने पर सजा का भी प्रावधान है. यहां तक की इसके लिए मौत की सजा दी जाती है. हालांकि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया था.
इन देंशों में कानूनी मान्यता नहीं, पर अपराध भी नहीं
विश्व में कुछ ऐसे भी देश हैं जहां पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी गई है. लेकिन यहां पर समलैंगिक विवाह को अपराध भी नहीं माना गया है. इन देशों में भारत के अलावा चीन, रूस, श्रीलंगा और ब्रिटेन आदि शामिल हैं.
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