अलवर : इंसानों को रक्तदान करते तो सुना होगा, लेकिन अलवर शहर में श्वान भी ब्लड डोनेट कर रहे हैं. अलवर की 'फॉर लेग केयर' संस्था के तीन श्वान अब तक 6 बार रक्तदान कर अन्य श्वानों को जीवनदान दे चुके हैं. यह संस्था अलवर के पशु चिकित्सालय परिसर में कई समय से एक्सीडेंट में घायल हुए लावारिस श्वान का इलाज कर रही है. युवाओं की यह संस्था घायल श्वान का इलाज करती है. इसके बाद तंदरुस्त होने पर यह श्वान रक्तदान करते हैं. संस्था के सदस्यों के अनुसार यह संस्था श्वान के अलावा बंदर, बिल्ली व कबूतरों का भी इलाज करती है.
फॉर लेग केयर संस्था के सदस्य दिवाकर ने बताया कि यह संस्था शहर के युवाओं की ओर से संचालित की जाती है. युवाओं की ओर से वन्यजीव के इलाज के लिए अस्पताल परिसर में सेवाएं दी जा रही हैं. संस्था हादसे में घायल श्वान को यहां लेकर आते हैं और उनका इलाज कर देखभाल करते हैं. जब वह इलाज के बाद स्वस्थ हो जाते हैं, तो उन्हें उसी स्थान पर फिर से छोड़ दिया जाता है. यदि कोई ऐसा श्वान होता है जो इलाज के बाद भी चलने-फिरने में असमर्थ होता है. उसे संस्था अपने पास ही रखकर देखभाल करती है.
उन्होंने बताया कि गंभीर घायल श्वान का इलाज अस्पताल में चिकित्सकों की ओर से किया जाता है. वहीं, सोनोग्राफी और अन्य सुविधाएं भी अस्पताल में मिलती हैं. दिवाकर ने बताया कि उनकी संस्था के सदस्य भी श्वान का चिकित्सकीय इलाज के बाद उस प्रक्रिया को फॉलो करते हैं. उनके पास ज्यादातर केस रोड एक्सीडेंट में घायल हुए श्वान आते हैं, जिन्हें स्पाइनल इंजरी, फ्रैक्चर, जन्म से ब्लाइंड होने जैसे केस भी आते हैं. श्वानों का यहां पूरा ध्यान रखा जाता है. संस्था के युवा अपने कामकाज के साथ जीव सेवा में भी अपना समय दे रहे हैं और अन्य युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं.
समाज के सहयोग से चल रहा कार्य : संस्था के सदस्य दिवाकर ने बताया कि श्वान की देखभाल करना, इलाज करना सामाजिक कार्य है. उनके इलाज के दौरान व देखभाल में होने वाले खर्च में समाज के लोगों का सहयोग व अन्य लोगों के डोनेशन से चलता है. लोग इस संस्था को सपोर्ट करते हैं. इसी के सहारे यहां रहने वाले श्वान, बिल्ली, बंदर व कबूतर का इनके लिए खाना-पीना दवाइयों का बंदोबस्त किया जाता है.
50 से ज्यादा श्वानों को स्वस्थ कर रिलीज किया : संस्था के सदस्य रोहित ने बताया कि वर्तमान में 85 से ज्यादा श्वान का इलाज व देखभाल संस्था की ओर से किया जा रहा है. कोई भी व्यक्ति संस्था को घायल श्वान की सूचना दे सकता है. उनकी टीम के सदस्य घायल श्वान को रेस्क्यू कर पशु चिकित्सालय में बने परिसर में लेकर आते हैं. यहां उनका इलाज व देखभाल की जाती है. उन्होंने बताया कि 50 से ज्यादा श्वान का इलाज करने स्वस्थ होने पर रिलीज किया गया है.
स्वस्थ श्वान करते हैं रक्तदान : रोहित ने बताया उनके पास रहने वाले श्वान स्वस्थ होने पर रक्तदान भी करते हैं. उनके पास रहने वाले तीन श्वान कालू, भूरी व बहरा हैं, जिन्होंने अभी तक 6 बार रक्तदान कर अन्य श्वान को जीवनदान दिया है. जब किसी अन्य श्वान को रक्त की जरूरत होती है, तब स्वस्थ श्वान का रक्त निकाल कर दूसरे को चढ़ाया जाता है. इसके लिए श्वान का वैक्सीनेशन व अन्य जरूरी बातों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. वहीं, रक्तदान के बाद भी श्वान को पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिससे उसको कमजोरी महसूस न हो और बीमारी से ग्रस्त न हो.