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मेवात में पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसे ग्रामीण, पशुओं के लिए भी खरीदना पड़ रहा पानी, करोड़ों रुपये की परियोजनाओं पर उठे सवाल - water shortage in nuh

Water Shortage in nuh: नूंह में सरकार ने बेशक पीने के पानी के लिए करोड़ों रुपये बहा दिए हों लेकिन इसके बावजूद भी 18 गांव के लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम ये हो गया है कि लोगों को पशुओं के लिए भी पानी खरीद के लाना पड़ रहा है.

Water Shortage in nuh
मेवात में पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसे ग्रामीण

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 9, 2024, 10:20 PM IST

Updated : Apr 9, 2024, 10:29 PM IST

नूंह:हरियाणा के नूंह में फिरोजपुर झिरका उपमंडल के अधीन आने वाले गांव बड़ेड, नीमखेड़ा, डोंडल, ऐंचवाडी, महल्हाका समेत 18 गावों में लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर सरकार लोगों को पीने के लिए मीठा पानी मिले इसके लिए रेनीवेल परियोजना पर करोड़ों रुपये खर्च को तरह रहे हैं. लेकिन लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं और सरकार की योजनाएं पानी तक ही सीमित है.

लोगों का कहना है कि गांव में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने केवल कागजों में काम को पूरा दिखाया है. गांव में एक बूंद पानी नहीं आता और लोगों के पास पानी के बिल आ रहे हैं. ऐंचवाडी गांव के सरपंच हसन मोहम्मद ने बताया कि गांव में पिछले 15 सालों से रीनिवेल का पानी नहीं आया. गांव ही नहीं बल्कि पहाड़ नीचे के 18 गांव में रेनीवेल योजना का पानी नहीं आता. आलम ये है कि लोगों को खुद के लिए और पशुओं के लिए पानी खरीदकर लाना पड़ता है. बढ़ती गर्मी में पानी नहीं मिलने से पशुओं का सारा दूध भी सूख रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि कुओं में भी पानी लगभग खत्म हो चुका है. लोगों ने बताया कि इलाके में पानी की बड़ी समस्या बनी हुई है. लेकिन इस समस्या पर न तो स्थानीय नेताओं का ध्यान है और न ही प्रशासन का. ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि अन्य गांव की तरह इन 18 गांवों में भी रेनीवेल परियोजना द्वारा पीने का पानी जल्द चालू किया जाए.

पानी की कमी को लेकर पब्लिक हेल्थ जेई वासुदेव रठौर ने कहा कि जिस तरह से पीछे से पानी आता है, उसी हिसाब से आगे चालू किया जाता है. अवैध कनेक्शन होने के चलते कुछ गांव में पानी नहीं पहुंच पाता. इस समस्या का समाधान जल्द ही किया जाएगा.ये आलम तब है जब करोड़ों रुपये पानी के नाम पर बहाया गया है. लेकिन पेयजल समस्या जस की तस बनी हुई है. मुख्यमंत्री उड़नदस्ता या किसी निष्पक्ष एजेंसी से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा पिछले 10 साल में पानी के नाम पर खर्च की गई राशि की जांच हो तो बड़ा गड़बड़झाला उजागर होने से इंकार नहीं किया जा सकता.

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Last Updated : Apr 9, 2024, 10:29 PM IST

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