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गंगा गंडक के संगम स्थल पर अनोखे अंदाज में मनाई गई 'श्मशान होली', चिता बना कर बैठे भूत बेताल - masan Holi in hajipur

Masan Holi In Hajipur: हाजीपुर के कोनहारा घाट पर श्मशान होली का आयोजन किया गया. इस दौरान देर शाम एक तरफ चिता बना कर उसपर बने भूत बेताल बैठे, तो दूसरी तरफ शंखनाद के साथ गंगा आरती की गई.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 25, 2024, 8:25 AM IST

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वैशाली:बिहार के वैशाली के हाजीपुर का कोनहारा घाट धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. गंगा और गंडक का संगम स्थल होने के कारण यहां का श्मशान भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐतिहासिक कोनहारा घाट पर इस बार विशेष तौर पर श्मशान होली का आयोजन किया गया. जहां शवों को जलाया जाता है, वहीं पर लड़कियों की चिता बनाकर उसपर भूत बेताल के भेष में स्थानीय तांत्रिक मौजूद थे.

घाट पर गंगा आरती का आयोजन: वहीं यहां देर शाम एक तरफ चिता बना कर उसपर बने भूत बेताल बैठे तो दूसरी तरफ घाट किनारे आधे दर्जन से ज्यादा आचार्य ने गंगा आरती का आयोजन किया. कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य के द्वारा शंखनाद से की गई. एक साथ आधे दर्जन शंख बजाए गए, जिसकी ध्वनि श्मशान से लेकर काफी दूर तक गूंजती रही. वहीं कोनहारा घाट पर आयोजित किए गए इस खास होली महोत्सव में शामिल होने बड़ी संख्या में लोग आए थे.

चिता बनाकर बैठे भूत बेताल

श्मशान होली में महिलाएं भी शामिल:वैसे तो यहां स्त्रियों का आना वर्जित माना जाता है, लेकिन इस खास मौके पर बड़ी संख्या में शमशान घाट पर महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए. श्मशान में मौजूद माता तारा मंदिर के मुख्य पुजारी चरणामृत कुमार ने बताया कि यहां पूरा इलाका मां आदि शक्ति मां तारा का माना जाता है.

"यहां धार्मिक विधि से श्मशानहोली महोत्सव का कार्यक्रम होना बेहद महत्वपूर्ण है. इससे पूरे राज्य में सुख और समृद्धि का संचार होगा. लोग कई प्रकार के बाधाओं से स्वतः मुक्त हो जाएंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ही पूर्ण विधि विधान के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है."-चरणामृत कुमार, मुख्य पुजारी

दर्जनों शंख की ध्वनि से पूरा इलाका गुंजायमान

देश के कोने-कोने से आते हैं तांत्रिक: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हजारों तांत्रिक और श्रद्धालु देश के कोने-कोने से यहां तंत्र विद्या सिद्ध करने आते हैं. मान्यता है कि यहां हाथी की घड़ियाल से रक्षा के लिए श्री हरि विष्णु आए थे यही कारण है कि इस जगह को भक्ति और मुक्ति दोनों के लिए उपयुक्त माना गया है.

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