मंदसौर :मूलतः धार जिले के कुक्षी में रहने वाले भूर सिंह मुजाल्दा की 24 साल पहले मंदसौर के ग्राम रावटी में बतौर प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति हुई थी. राजपूत बहुल वाले इस गांव में उस वक्त केवल 26 बच्चे ही स्कूल में पढ़ने आते थे. बीएस मुजाल्दा के आने के बाद उन्होंने घर-घर संपर्क अभियान के जरिए दो ही साल में स्कूल की छात्र संख्या बढ़कर 47 कर दी. लेकिन ग्रामीण छात्राओं को स्कूलों में दाखिल करवाने से फिर भी कतराते रहे. इसी दौरान बीएस मुजाल्दा की पत्नी जमुना मुजाल्दा की भी बतौर प्राथमिक शिक्षक इसी स्कूल में नौकरी लग गई. इसके बाद दोनों ने इस गांव के लिए जो किया उसने ग्रामीणों का दिल जीत लिया.
पूरे गांव के लिए बने प्रेरणा, फिर आया ट्रांसफर ऑर्डर
भूर सिंह और उनकी शिक्षिका पत्नी के प्रयासों से 3 साल बाद ही उनके स्कूल में छात्रों की संख्या दोगुनी हो गई. इतना ही नहीं कई छात्राओं ने भी स्कूल में दाखिला ले लिया. शिक्षकों के व्यवहार और तरीके से प्रभावित होकर राजपूत बहुल वाले इस गांव में उनके लोगों से पारिवारिक संबंध जैसे बन गए. इस स्कूल से कई छात्र पढ़ लिखकर महानगरों में उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं जबकि कई छात्र-छात्राओं ने शासकीय और प्राइवेट संस्थानों में नौकरियां भी हासिल कर लीं. कई वर्ष बीतते चले गए और उनके पढ़ाए हुए बच्चे आगे बढ़ते गए. इसी बीच स्कूल के प्राथमिक शिक्षक बन चुके भूर सिंह और उनकी पत्नी के तबादले का आदेश आ गया.
ट्रांसफर रोकने हाईकोर्ट पहुंचे ग्रामीण
10 अगस्त को शासन ने अचानक बीएस मुजाल्दा और उनकी पत्नी जमुना मुजाल्दा का स्थानांतरण जिले की मल्हारगढ़ तहसील के ग्राम झारड़ा और चंदन खेड़ा में कर दिया था. इस आर्डर के बाद ग्रामीणों में गहरा आक्रोश फैल गया और उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से निरस्तीकरण की भी मांग की लेकिन विभागीय तौर पर कोई जवाब नहीं मिलने से ग्रामीणों ने दोनों को रोकने के लिए, तत्काल घर-घर जाकर चंदा एकत्र किया और इंदौर हाई कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने भी मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग के स्थानांतरण ऑर्डर पर स्टे लगा दिया, और फैसला आने तक इसी गांव में ड्यूटी के आदेश भी जारी कर दिए.