भोपाल: राजधानी भोपाल स्थित अंबेडकर मैदान में बीते 7 दिनों से भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. इसमें आसपास के लोगों के साथ प्रदेश भर से आए वर्तमान और सेवानिवृत्त शिक्षक शामिल हैं. दरअसल, इस भागवत कथा के माध्यम से शिक्षक सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस विरोध प्रदर्शन में न तो सरकार के खिलाफ कोई नारेबाजी की जा रही है और न ही प्रदर्शन. शिक्षकों का कहना है कि हम भागवत कथा के माध्यम से सरकार को सद्बुद्धि देने की मांग कर रहे हैं.
दिवंगत शिक्षकों को दी गई श्रद्धांजलि
संगठन के पदाधिकारी परसराम कापड़िया ने बताया कि "विसंगतियों के कारण कई दिवंगत शिक्षकों के परिजन और सेवा निवृत्त शिक्षकों को 20 वर्ष की वरिष्ठता का लाभ नहीं मिल रहा है. जिसके कारण उनको ग्रेच्युटी और पेंशन का लाभ भी नहीं मिल रहा है. इसको लेकर शिक्षण संगठन कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मंत्री तक से चर्चा कर ज्ञापन सौंप चुके हैं. इसके बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ.
ऐसे में शिक्षकों ने मांग पूरी कराने के लिए भागवत कथा कराने का निर्णय लिया है. इस भागवत कथा का आयोजन वर्तमान शिक्षक पैसे इकट्ठा करके कर रहे हैं." शिक्षकों का कहना है कि इस भागवत कथा के माध्यम से हम दिवंगत शिक्षकों को श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं.
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प्रथम नियुक्ति दिनांक से हो सेवा अवधि की गणना
भागवत कथा में शामिल होने राजगढ़ जिले की सीएम राईज स्कूल से आए भोजराज पालीवाल ने बताया कि "1998 या उसके बाद से नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति दिनांक 1 जुलाई 2018 कर दी गई है. इससे शिक्षकों की वरिष्ठता 20 साल कम हो गई है. सेवानिवृत्त और दिवंगत शिक्षकों के परिजनों को ग्रेच्युटी और पेंशन नहीं मिल रही है."
भोजराज ने कहा कि "हमारी मांग है कि सरकार नियुक्ति दिनांक 1 जुलाई 2018 को विलोपित कर प्रथम नियुक्ति दिनांक से सेवा अवधि की गणना करे. जिससे सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों के परिजनों को ग्रेच्युटी, नगद और पेंशन का लाभ मिल सके."