प्रयागराज : संगम नगरी में 13 जनवरी से महाकुंभ मेला चल रहा है. मेले में सभी 13 अखाड़ों की छावनी शिविर स्थापित हो चुका है. अखाड़ों की धर्मध्वजा भी फहरा रही है. इन्हें अखाड़े की छावनी में स्थापित ईष्टदेव के पास लगाया गया है. इन परंपराओं से अलग श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में धर्म ध्वजा के साथ ही पर्व ध्वजा भी स्थापित की जाती है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी...
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने छावनी के बाद दूसरे दिन धर्म ध्वजा की स्थापना की थी. जबकि श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने धर्मध्वजा की स्थापना छावनी प्रवेश यात्रा से पहले की थी. महानिर्वाणी अखाड़े में पर्व ध्वजा स्थापित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसका पालन आज भी किया जाता है.
नागा संन्यासियों ने औरंगजेब के वंशजों से किया मुकाबला :महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी महाराज ने बताया कि अखाड़े के ईष्ट कपिल देव महाराज हैं. उनके अखाड़े महानिर्वाणी में धर्म ध्वजा के साथ ही पर्व ध्वजा लगाए जाने की परंपरा है. पर्व ध्वजा स्थापित करने के पीछे नागा संन्यासियों के शौर्य और पराक्रम का इतिहास जुड़ा है. महंत यमुना पुरी महाराज ने बताया कि मुगल काल के दौरान औरंगजेब के वंशजों ने कुंभ के आयोजन को बाधित करने और स्नान रोकने की कोशिश की थी. मुगलों की सेना का मुकाबला महानिर्वाणी अखाड़े के साथ ही अटल अखाड़े और अन्य अखाड़े के नागा संन्यासियों ने डटकर किया था.