प्रयागराज :महाकुंभ मेले से लापता अभय सिंह उर्फ आईआईटीएन बाबा ने ईटीवी भारत से कई मुद्दों पर बातचीत की. जूना अखाड़े के शिविर में रहते हुए सुर्खियों में आए अभय सिंह अचानक कहीं चले गए थे. बाबा ने बताया कि अब वह सनातन की राह पर ही चलेंगे. घर लौटने का उनका कोई इरादा नहीं है. वहीं आईआईटीएन बाबा के गुरु पंच दशनाम जूना अखाड़े के सभापति काशी क्षेत्र हीरापुरी जी महाराज ने भी अपनी बात रखी. आईआईटी बाबा 40 दिन पहले जूना अखाड़े के संत सोमेश्वर पुरी से मिले थे. वह उनके साथ ही मेले में पहुंचे. उन्होंने भी बाबा के बारे में हैरान करने वाले खुलासे किए. पढ़िए खास रिपोर्ट..
गुरु के आरोपों पर अभय सिंह ने रखी अपनी बात. (Video Credit; ETV Bharat) पहले जानिए गुरुओं ने शिष्प पर लगाए किस तरह के आरोप :स्वामी हीरापुरी जी महाराज ने बताया कि इस बात को बेवजह उछाल दिया गया है. वह अभय सिंह है काशी से मेरे शिविर में आया. हम लोग जूना अखाड़े के शिष्य हैं. काशी में हमारे शिष्य रहते हैं सोमेश्वरपुरी, उन्हीं के साथ वह यहां आया. एकदम शांति से एक सप्ताह तक रहा. साधना में लीन था. उसने हमसे कोई दीक्षा नहीं ली. मुझे गुरु नहीं बनाया है. वह सिर्फ घूम रहा है. उसने मीडिया में बातचीत की और उसे बेवजह इतना उठा दिया गया. हर कोई उसके पीछे पड़ गया, इसकी वजह से उसका दिमाग खराब हो गया. वह पढ़ा लिखा है, लेकिन दीक्षित नहीं है. मीडिया को भी समझना चाहिए कि यहां बहुत से योगी ज्ञानी और बहुत अच्छे-अच्छे लोग आए हैं, लेकिन उसके बारे में कोई बात ही नहीं हो रही है. उनको कोई नहीं ढूंढ रहा है. उसके दिमाग में कुछ गलत चीज आ गई थी, जिसकी वजह से वह घर से निकल गया. अपने माता-पिता को भी उसने छोड़ दिया. वह अपने बाप का इकलौता बेटा है.
उन्होंने कहा कि वह हमारे आश्रम में सिर्फ आश्रित था. मेरे शिष्य के साथ आया था, लेकिन उसके साथ झमेला हो गया. मैं उसे ले जाकर अवधेशानंद गिरि जी के आश्रम में छोड़ आया. मुझे पता चला कि रात में उसके माता-पिता यहां आए थे. लेकिन मुझसे मुलाकात नहीं हुई, न ही अभय यहां पर था, इसलिए वह चले गए. जूना अखाड़े का नाम खराब न हो इसलिए उसे अपने पास से हटा दिया. इसके बाद पता नहीं वह कहां गया.
काशी से संत के साथ बाबा पहुंचे महाकुंभ :आईआईटीएन बाबा को काशी से लाने वाले सोमेश्वर पुरी जी महाराज का कहना है कि उसका भाग्य उसे जहां ले जा रहा है, वह जा रहा है. उसे बड़े-बड़े संतों का आशीर्वाद मिला, उससे काशी में मुलाकात हुई थी. मैं उसे अपने साथ ले आया, लेकिन जब वह यहां आया तो उसने मेरे साथ रहने के लिए कहा. मुझे अखाड़े से परमिशन लेनी होती है, तो मैं अपने गुरु भाई भुवनेश्वर पुरी जी महाराज से मिला. उन्होंने कहा कि साथ रख सकते हो. मैंने महाराज जी से कहा कि वह कुछ अजीब अजीब हरकतें करता है, मैं लेकर आया हूं, इसलिए मुझे डर लग रहा है कि बेवजह इन चीजों में दिक्कत न हो जाए.
सोमेश्वर पुरी ने बताया कि मेरे गुरु ने उसको छोटे बच्चों की तरह समझाया, अपने पास कमरा दिया, बगल में रहने की जगह दी, लेकिन वह आधी रात को बाहर निकल कर अजीब हरकतें करता था. नाचने लगता था, बाद में हम उन्हें बड़े महाराज जी अवधेशानंद जी के पास ले गए. वह वहां से भाग निकला. काशी में उसने मुझसे बताया था कि वह मुंबई आईआईटी से पढ़ाई कर चुका है. वह सनातन की तरफ चलना चाह रहा है. मुझे अच्छा लगा. रास्ते में उसने मुझसे कहा कि वह टीवी आदि पर आना चाहता है. मुझे क्या पता था कि वह यहां आकर इस तरह से करेगा.
'हर गुरु मुझे शिष्य बनाना चाह रहा था' :आपके गुरु आप पर आरोप लगा रहे हैं. इस सवाल पर आईआईटीएन बाबा अभय सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि मुझे वहां बहुत अच्छा नहीं लगा, खराब लग रहा था, बार-बार हर गुरु मुझे चेला बनाना चाह रहे थे, मैं चेला बनने नहीं आया हूं. आप समझ रहे हैं, उस स्ट्रक्चर के अंदर मुझे डालने की कोशिश हो रही थी, जो मुझे पसंद नहीं है. मुझे भी ज्ञान है और उन्हें भी ज्ञान है, कौन चेला बनेगा यह वह डिसाइड क्यों करेंगे? मैं अगर उनसे कहूं आप मेरे चेले बन जाओ तो उन्हें स्वीकार होगा?
'बाबा बनने का सर्टिफिकेट वह थोड़ी न देंगे' :अभय सिंह ने कहा कि मैं तो कभी कहता ही नहीं हूं कि मैं बाबा हूं. मुझे बाबा बनने का सर्टिफिकेट वह थोड़ी न देंगे. मैं तो बार-बार बोलता हूं कि मैं कुछ भी नहीं हूं. वहीं काशी से यहां तक आने वाले संत के तमाम आरोपों पर अभय सिंह ने कहा कि मैं स्ट्रेटजी के हिसाब से बहुत कुछ बोलता हूं. वहीं नशे करने के आरोपों पर अभय सिंह ने कहा कि मैं नाचने-कूदने ऐसे ही नहीं लगता था, मेरा मानना यह है कि बाबा लोगों को जो सही में भक्ति करें जो पूरी तरह से उसमें तल्लीन रहे, उसे सपोर्ट करना चाहिए.
अभय सिंह ने कहा कि आईआईटी करने के बाद मैंने उस जीवन को लात नहीं मेरी है. मैंने उस जीवन को आध्यात्मिक के साथ शामिल किया है. आईआईटी की पढ़ाई में विज्ञान का हिस्सा है. उसको समझने में हेल्प हो सकती है. माता-पिता के परेशान होने और अपने संन्यास जीवन को आगे बढ़ाने के सवाल पर कहा कि मुझे अभी कुछ नहीं करना है. जिस रास्ते से मैं यहां तक पहुंचा, मैं उसी रास्ते पर आगे बढूंगा. मां बाप का क्या, अगर वह मुझे खोजते हुए आए थे, तो गलत है. अगर वह भगवान को खोजते हुए जाएंगे तो ज्यादा बेहतर है. फिलहाल मैं घर नहीं जाऊंगा और पूरे कुंभ में यही रहूंगा. वहीं अखाड़े में रहने के सवाल पर अभय सिंह ने कहा कि मैं जूना अखाड़े में जाना चाहता हूं, लेकिन मेरे मन से थोड़ी न होगा. मैं किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं करता हूं, अगर उन्होंने कुछ बोला तो देखते हैं.
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