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मध्यप्रदेश के फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में नया अपडेट, जानिए- रेगुलर बेंच में क्यों होगी सुनवाई - MP Nursing College Scam

MP Nursing College Scam: फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले की सुनवाई मंगलवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में हुई. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया. युगलपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए रेगुलर बेंच के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश जारी किये.

Madhya Pradesh Nursing College Scam
मध्यप्रदेश के फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में नया अपडेट

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 24, 2024, 10:19 AM IST

जबलपुर। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. अधिकांश कॉलेजों की निर्धारित स्थल पर बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.

याचिका में इन बिंदुओं का हवाला

याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य हैं और फैकल्टी भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत हैं. जिस कॉलेज में कार्यरत है उनकी दूरी सैकड़ों किलोमीटर दूर है. इसके अलावा माईग्रेट तथा डुप्लीकेट फैकल्टी मामला भी याचिकाकर्ता की तरफ से उठाया गया था. युगलपीठ ने ग्वालियर तथा इंदौर खंडपीठ में लंबित नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं को मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किये थे. याचिकाओं की करते युगलपीठ ने प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई की तरफ से मध्य प्रदेश मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी से संबद्धता प्राप्त 308 नर्सिंग कॉलेज की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की गयी थी.

उच्च स्तरीय कमेटी गठित होगी

याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर फर्जी नर्सिंग कॉलेजों पर कार्रवाई के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जायेगी. उन्होंने मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसलिंग के संबद्धता प्राप्त कॉलेज के जीएनएम परीक्षा के रिजल्ट घोषित करने की राहत हाईकोर्ट से चाही थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने विरोध करते हुए कहा कि सीबीआई ने सिर्फ एमपीएमएसयू से संबंध कॉलेजों की जांच रिपोर्ट पेश की है.

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दोनों पक्षों ने तर्क पेश किए

एमपीएनआरसी से संबंध नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई ने नहीं की है, जिनकी संख्या लगभग 400 है. इसके अलावा सीबीआई ने उनके द्वारा उठाये गये समस्त बिंदुओं पर जांच की है. इस जानकारी के लिए उन्हें रिपोर्ट पढ़ने की अनुमति दी जाये. जस्टिस विशाल मिश्रा ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. जिसके बाद याचिका को सुनवाई के लिए जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिये गए. मंगलवार को जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष याचिका की सुनवाई हुई. युगलपीठ के समक्ष दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किये. युगलपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए रेगुलर बेंच के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश जारी किये हैं.

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