नई दिल्ली: आयुष के बारे में अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और जन जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत ने बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, लातविया और मलेशिया में एकेडमिक चेयर (अकादमिक पीठ) शुरू की है.
मंगलवार को संसद में इसकी जानकारी देते हुए आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि विदेशी संस्थानों में आयुष पीठ की पहल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है.
जाधव ने राज्यसभा में कहा, 'विदेशी विश्वविद्यालयों में आयुष पीठों की स्थापना अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अनुसंधान को बढ़ावा देने और आयुष के लाभों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है. पीठ का उद्देश्य आम तौर पर आयुष के बारे में अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और जन जागरूकता को बढ़ावा देना है, जिससे मेजबान देश में इसकी मान्यता और स्वीकृति में योगदान मिलता है.'
उन्होंने कहा कि आयुष पीठ की स्थापना या तो द्विपक्षीय प्रयासों से होती है या किसी विदेशी संस्थान की आयुष पीठ की मेजबानी करने की इच्छा से होती है. उन्होंने कहा, 'इसके बाद विदेशी विश्वविद्यालय और आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थान के बीच एक चेयर एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.
इसके बाद, अपेक्षित योग्यता वाले आयुष विशेषज्ञ का चयन किया जाता है. इसके बाद चेयर को विदेशी विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्त किया जाता है. आयुष मंत्रालय वेतन और यात्रा लागत प्रदान करता है, जबकि मेजबान विदेशी विश्वविद्यालय चेयर को किराए-मुक्त आवास और स्थानीय आतिथ्य प्रदान करता है. चेयर को शुरू में एक वर्ष के लिए प्रतिनियुक्त किया जाता है और तीसरे वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
आयुष मंत्रालय ने विभिन्न देशों के साथ संस्थान स्तर के समझौते किए हैं. इनका उद्देश्य विशेषज्ञों और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है. जाधव ने कहा, 'इस संबंध में मंत्रालय विभिन्न व्यापार मेलों, सम्मेलनों, द्विपक्षीय बैठकों, तकनीकी प्रशिक्षणों में इस योजना के तहत विशेषज्ञों को नियुक्त करता है. इसी तरह अन्य देश भारत में आयोजित बैठकों, कार्यक्रमों में अपने विशेषज्ञों को भेजते हैं.'
राज्यसभा में तेजवीर सिंह द्वारा आयुष को बढ़ावा देने के संबंध में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए जाधव ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने आयुष के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना विकसित की है. उन्होंने कहा, 'इस योजना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ावा देना है. इसके तहत आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी को बढ़ावा देना तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष के लिए बाजार का विकास करना है.
उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक चिकित्सा और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए 24 देशों के बीच सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं. जाधव ने कहा, 'विदेशों में आयुष अकादमिक पीठों की स्थापना के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ 15 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. सहयोगात्मक अनुसंधान और अकादमिक सहयोग के लिए विदेशी संस्थानों के साथ नियमित रूप से संस्थान स्तर पर सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.'