हैदराबाद: साल 2024 राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बेहद खास रहा. निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया को अंजाम दिया, जिसमें 64.2 करोड़ लोगों ने मतदान करके यह तय किया कि अगले पांच वर्षों के लिए देश में किसकी सत्ता रहेगी. अप्रैल से जून के बीच सात चरणों में आम चुनाव कराए गए और देश भर में 10.5 लाख मतदान केंद्र बनाए गए थे.
इस वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए और लोगों ने नई सरकारें चुनीं. दो को छोड़कर सभी राज्यों में सत्ताधारी दल ने अपनी सरकारें बरकरार रखीं.
लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार हारने के बावजूद विपक्ष को भी इस साल नई जान मिली. 10 साल के अंतराल के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के रूप में लोकसभा में विपक्ष का नेता बना. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 99 लोकसभा सीटें जीतीं, जो 2019 में मिली सीटों से लगभग दोगुनी थी. कांग्रेस ने इस प्रदर्शन का जश्न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जीत की तरह मनाया. वहीं, मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सीटें भाजपा की उम्मीदों से काफी कम थी.
इस साल, दिल्ली में केंद्र और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच काफी रस्साकशी दिखी. इस दौरान 'आप' प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले में कथित भूमिका के लिए मार्च में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. वह सात महीनों तक जेल से दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहे. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जब केजरीवाल जेल से बाहर आए तो उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद 'आप' नेता आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.
झारखंड में हेमंत सोरेन ने सत्ता में वापसी की, ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बनी और 24 साल तक मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक की सत्ता चली गई. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापसी हुई. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में महायुति ने शानदार जीत दर्ज की.
आइए, साल 2024 में भारत की महत्वपूर्ण राजनीति घटनाओं पर एक नजर डालें...
आम चुनाव 2024
इस साल भारत में 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव हुए और पूरे देश ने केंद्र की सरकार चुनने के लिए मतदान किया. इस संसदीय चुनाव में 96.8 करोड़ पात्र मतदाता थे, उनमें से 64.2 करोड़ ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिसमें 31.2 करोड़ महिला मतदाता शामिल थीं, जो महिला मतदाताओं की अब तक की सबसे अधिक भागीदारी है.
44 दिनों तक चलने वाला यह चुनावी अभियान 1951-52 के पहले संसदीय चुनावों के बाद देश में दूसरा सबसे लंबा चुनाव था, जो चार महीने से ज्यादा समय तक चला था. चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक सात चरणों में आयोजित किए गए और 4 जून को नतीजे घोषित किए गए.
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने चुनाव में जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. हालांकि, भाजपा का प्रदर्शन पिछले दो चुनाव के मुकाबले खराब रहा और दो मुख्य सहयोगी दलों- तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के दम पर गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही.
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से भाजपा सिर्फ 240 सीटें ही जीत पाई, जबकि एनडीए में शामिल टीडीपी ने 16 सीट और जेडीयू ने 12 सीटें जीतीं. कुल मिलाकर, एनडीए ने 293 सीटें जीतीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने 303 सीटें जीती थीं और एनडीए की कुल 353 सीटें थी.
इसके उलट, कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया और मजबूत विपक्ष के रूप में वापस आ गई. जबकि 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 52 सीटें मिली थीं.
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी
लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की जीत के बाद 9 जून को नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. चुनाव के दौरान सत्ताधारी भाजपा की रैलियों में 'मोदी की गारंटी' का जोरशोर से प्रचार किया गया, जिससे भगवा पार्टी को 240 सीटें जीतने में मदद मिली. हालांकि, यह फीका प्रदर्शन था, लेकिन भाजपा और एनडीए में शामिल दलों को गठबंधन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल था.
4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने के तीन दिन बाद, मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 293 सांसदों के समर्थन का पत्र सौंपा और 9 जून को उन्होंने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
पीएम मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए, लेकिन उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं रहा, क्योंकि मतगणना के पहले घंटे में कांग्रेस के अजय राय उनसे आगे चल रहे थे. हालांकि, पीएम मोदी ने बढ़त बनाते हुए राय को 1,52,513 वोटों के अंतर से हराया. यह किसी मौजूदा प्रधानमंत्री के लिए दूसरा सबसे कम जीत का अंतर (प्रतिशत अंकों में) था. पीएम मोदी 2019 में 4.5 लाख वोटों के अंतर से विजयी हुए. 2024 में उनकी जीत के अंतर में भारी गिरावट आई.
लोकसभा चुनाव में एनडीए लगातार तीसरी जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में विकसित भारत के निर्माण के लिए सभी राज्यों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया, चाहे सत्ता में कोई भी पार्टी हो. उन्होंने तीसरे कार्यकाल के लिए अपना दृष्टिकोण भी पेश किया और कहा कि यह बड़े निर्णयों का कार्यकाल होगा और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने पर मुख्य जोर दिया जाएगा. पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश और बिहार में चुनावी सफलताओं के लिए टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया.
राहुल गांधी विपक्ष के नेता बने, प्रियंका की नई पारी
2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस पार्टी हार गई, लेकिन राहुल गांधी ने राजनीति पर महत्वपूर्ण छाप छोड़ी और खुद का मजाक उठाने वालों का मुंह बंद कर दिए. कांग्रेस 99 सीटें जीतने में सफल रही.
राहुल गांधी ने केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीत हासिल की. वायनाड सीट पर उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई की एनी राजा को 3.64 लाख वोटों से हराया, जबकि रायबरेली सीट पर उन्होंने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3.9 लाख वोटों से हराया. राहुल ने रायबरेली सीट बरकरार रखी और नियम के अनुसार वायनाड सीट छोड़ दी.
नवंबर में हुए उपचुनाव में उनकी बहन प्रियंका गांधी ने वायनाड से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की. 28 नवंबर को लोकसभा सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद वह संसद में पहली बार पहुंचीं.
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपने शानदार प्रदर्शन का श्रेय राहुल गांधी को दिया, जिन्होंने लोगों के मुद्दों और कल्याणकारी उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभियान चलाया. कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्राओं के जरिये पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए गांधी की सराहना की. इन योत्राओं के लिए उन्होंने देश के एक छोर से दूसरे छोर तक पैदल मार्च किया. इस दौरान वे लोगों से मिले और उनके वास्तविक मुद्दों के बारे में जानने की कोशिश की. उनके सबसे कटु आलोचकों ने भी माना कि राहल गांधी का 2024 का अभियान अब तक का उनका सर्वश्रेष्ठ अभियान था, क्योंकि उन्होंने रोजी-रोटी के मुद्दों और पार्टी की कल्याणकारी गारंटी पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे मतदाता प्रभावित हुए.
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतीं, जो विपक्ष के नेता का दर्जा पाने के लिए जरूरी 55 सीट या 10 प्रतिशत से अधिक है. 2014 के बाद पहली बार कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष का नेता (एलओपी) चुनने का अवसर मिला. पार्टी ने राहुल गांधी को इस पद के लिए नामित किया और 24 जून को उन्हें एलओपी नियुक्त किया गया. 2004 में राजनीति में प्रवेश करने के बाद से राहुल गांधी ने यह पहला संवैधानिक पद संभाला है. एलओपी के रूप में राहुल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया, जिससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान बढ़ गया.
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की वापसी
2024 में आंध्र प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की विधानसभा चुनाव में करारी हो हुई और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाले एनडीए को जीत मिली. लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव 13 मई को एक ही चरण में कराए गए थे और मतगणना 4 जून को हुई थी.
तत्कालीन सीएम जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा और सिर्फ 11 सीटें जीत पाई, जबकि 2019 में वाईएसआरसीपी ने 151 सीट जीतकर सत्ता हासिल की थी. इसके विपरीत, 2019 में सिर्फ 23 सीट पाने वाली टीडीपी ने 2024 के चुनाव में 135 सीटें जीतकर शानदार वापसी की.
टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने 12 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापसी की. सीएम के रूप में उनका आखिरी कार्यकाल 2014 से 2019 तक था. राज्य के विभाजन से पहले, वह 1995-99 और 1999-2004 तक संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
2024 में नायडू के बेटे नारा लोकेश और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने पहली बार आंध्र प्रदेश विधानसभा में प्रवेश किया. एनडीए गठबंधन द्वारा राज्य की कुल 25 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें जीतने से भाजपा को केंद्र में मजबूती मिली. वाईएसआरसीपी लोकसभा की सिर्फ चार सीट पाई. विश्लेषकों का कहना है कि विपक्षी दलों की एकजुट लड़ाई के साथ-साथ सत्ता विरोधी लहर ने सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी को करारी शिकस्त दी.
ओडिशा में भाजपा सरकार, नवीन पटनायक का किला ढहा
ओडिशा में 2024 के विधानसभा चुनाव में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन हुआ. मतदाताओं ने भाजपा पर भरोसा जताया, जिससे बीजू जनता दल (बीजेडी) का किला ढह गया और 24 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे नवीन पटनायक की सत्ता चली गई. उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में केवल 54 सीटें ही हासिल कर पाई, जबकि पिछले चुनाव में बीजेडी को 113 सीटें मिली थीं.
दूसरी ओर, भाजपा ने 147 सीटों वाली विधानसभा में 78 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी चार चरणों में कराए गए. भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओडिशा में 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर जीत दर्ज की, जो आम चुनाव में भाजपा की सबसे शानदार जीत में से एक है.
ओडिशा में भाजपा का चुनाव प्रचार जोरदार रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों को संबोधित करने के साथ भुवनेश्वर और पुरी में दो रोड शो किए. भाजपा के मुकाबले बीजेडी का अभियान फीका रहा, जिसका नेतृत्व तत्कालीन सीएम पटनायक और उनके सहयोगी वीके पांडियन ने किया.
जम्मू-कश्मीर को निर्वाचित सरकार मिली
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने 2024 में अपने राजनीतिक इतिहास में नया अध्याय लिखा, क्योंकि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए. जम्मू-कश्मीर में 10 साल के अंतराल के बाद आखिरकार 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए और 8 अक्टूबर को चुनाव नतीजे सामने आए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सितंबर 2024 तक केंद्र शासित प्रदेश में 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने' का निर्देश दिया था.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में कुल 90 सीटों में से 49 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. एनसी 41 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. वहीं, भाजपा को 29 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस मात्र 6 सीटें जीत पाई. महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी को केवल तीन सीटें मिलीं, जो 25 साल पहले मुफ्ती सईद द्वारा पीडीपी की स्थापना के बाद से पार्टी का यह सबसे खराब प्रदर्शन था.
पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. दिलचस्प बात यह है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा से कुछ महीने पहले, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करके उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन की शक्तियों में वृद्धि कर दी थी. संशोधन के जरिये पुलिस, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों और अधिवक्ताओं और अन्य कानून अधिकारियों की नियुक्ति पर निर्णय लेने के लिए उपराज्यपाल को अधिक अधिकार दिए गए. एलजी को कुछ मामलों में अभियोजन को मंजूरी देने और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने की शक्तियां भी दी गईं.
हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक
ओडिशा में चुनावी सफलता से गदगद भाजपा ने हरियाणा में भी लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की. हरियाणा के चुनाव नतीजे विपक्षी पार्टी कांग्रेस की उम्मीदों से परे थे, क्योंकि चुनावी माहौल विपक्ष के पक्ष में था. सत्ता विरोधी लहर भी भाजपा की राह में रोड़ा नहीं बन पाई.
हरियाणा में 5 अक्टूबर को एक चरण में चुनाव हुए थे और 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए गए थे. अधिकांश एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी के बावजूद भाजपा ने कुल 90 सीटों में से 48 सीट जीतकर बहुमत हासिल किया और लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज हुई. भाजपा को 39.94 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस ने 39.09 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 37 सीटें जीतीं. हरियाणा चुनाव में 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ.
भाजपा ने ओबीसी नेता नायब सिंह सैनी को मार्च 2024 में ही मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री बनाया था. चुनाव में जीत के बाद 54 वर्षीय सैनी ने 17 अक्टूबर को दूसरे कार्यकाल के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
भाजपा की जीत का श्रेय मजबूत प्रचार अभियान और उसके नेताओं की लोकप्रियता को दिया गया. मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना चुनाव लड़ने का पार्टी का फैसला भी उसके पक्ष में काम किया.
दूसरी ओर, कांग्रेस को आंतरिक कलह से नुकसान उठाना पड़ा. साथ ही वह सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाने में भी नाकाम रही. सीपीआई (एम) के साथ पार्टी का गठबंधन भी उम्मीद के मुताबिक परिणाम देने में विफल रहा. पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने 2024 में अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई. इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) को केवल दो सीटें मिलीं. 2019 में चुनाव के बाद भाजपा ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत, फडणवीस तीसरी बार सीएम बने
भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा 2024 में भारी बहुमत से जीत दर्ज की. आर्थिक रूप से प्रमुख महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव हुए और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए गए. 288 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 132 सीटें जीतीं और उसके सहयोगी दलों- शिवसेना को 57 सीट और एनसीपी को 41 सीट मिलीं.
विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को बुरी हार का सामना करना पड़ा. गठबंधन में शामिल तीन प्रमुख दल सिर्फ 46 सीट ही जीत पाए- कांग्रेस को 16, शिवसेना (यूबीटी) को 20 और एनसीपी (एसपी) को 10 सीट मिली.
भाजपा का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा. सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए पार्टी ने 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि पार्टी 149 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था. चुनाव में भाजपा का नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस ने किया. फडणवीस ने 5 दिसंबर को तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के सीएम रेस से खुद को अलग करने के बाद 4 दिसंबर को भाजपा विधायक दल की बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर मुहर लगी थी.
झारखंड में हेमंत सोरेन की सत्ता बरकरार
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. राज्य में साल भर तक चले राजनीतिक ड्रामा के बीच जेएमएम प्रमुख सोरेन अंत में सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रहे.
झारखंड में नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए. हेमंत सोरेन ने शानदार प्रदर्शन किया. झामुमो के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने कुल 81 सीटों में से 56 सीटें जीतीं. सोरेन को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने 28 नवंबर को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में 31 जनवरी को भूमि घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने से कुछ घंटे पहले सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. सोरेन ने दावा किया था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध में उनके खिलाफ आरोप लगाए गए और उन पर कार्रवाई की गई.
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जेएमएम विधायक चंपई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने. हालांकि वह मुश्किल से पांच महीने तक सीएम पद पर रहे. हेमंत 28 जून को जमानत पर रिहा हुए और कुछ दिन बाद चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में हेमंत सोरेन ने 4 जुलाई को सीएम पद की शपथ ली. सीएम पद से हटाए जाने से नाखुश चंपई सोरेन ने 30 अगस्त को झामुमो से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 2024 में राजनीतिक उतार-चढ़ाव से भरे दौर से गुजरना पड़ा. कथित आबकारी नीति घोटाले में दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर भी थे. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद भी केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया और कई महीनों तक जेल से ही दिल्ली सरकार चलाई.
केजरीवाल ने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में कई बार अर्जी लगाई, लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी गई. लोकसभा चुनाव में प्रचार करने की अनुमति के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और शीर्ष अदालत ने 10 मई से 1 जून, 2024 तक उन्हें अंतरिम जमानत दे दी. अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद केजरीवाल ने 2 जून को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया.
केजरीवाल को 20 जून को ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन ईडी के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील किए जाने के बाद उनकी जमानत पर रोक लग गई. इस बीच, 26 जून को सीबीआई ने केजरीवाल को फिर से गिरफ्तार कर लिया और 12 जुलाई तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. पांच महीने से अधिक समय कैद में बिताने के बाद आखिरकार 13 सितंबर, 2024 को केजरीवाल जमानत पर जेल से बाहर आए. अदालत ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दी थी, जिसमें उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश न करने और मुख्यमंत्री के रूप में किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर न करने का भी आदेश दिया गया था.
जेल से बाहर आने के चार दिन बाद, 17 सितंबर को केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह इस पद को दोबारा तभी संभालेंगे, जब उन्हें जनता से जनादेश मिलेगा. 21 सितंबर को आतिशी ने दिल्ली की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लीं. वह इससे पहले दिल्ली की शिक्षा मंत्री थीं.
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