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पट्टे की आड़ में जंगल की जमीन पर कब्जे की जनहित याचिका, सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति - Encroachment on Forest Land

बुरहानपुर के कुछ किसानों ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि जंगलों को काटकर पहले जमीन पर अवैध कब्जा किया और अब अवैध कब्जा करने वाले लोगों को सरकार द्वारा उसी जमीन का कृषि और आवासीय पट्टा प्रदान किया जा रहा है.

Encroachment on Forest Land
पट्टे की आड़ में जंगल की जमीन पर कब्जे की जनहित याचिका (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 12, 2024, 8:24 AM IST

जबलपुर: जंगल को तबाह कर जमीन पर कब्जा करने वालों को सरकार द्वारा कृषि और आवासीय पट्टा दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ को बताया गया कि जंगल की कटाई पूरी तरह से बंद हो गई है. सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता की तरफ से आपत्ति पेश की गई. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को रिजॉइंडर पेश करने की मोहलत देते हुए अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद निर्धारित की है.

पट्टे की आड़ में जंगल की जमीन पर कब्जा

बुरहानपुर निवासी पाडुरंग सहित अन्य 5 किसानों की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि जिले में स्थित जंगलों को काटकर उस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है. अवैध कब्जा करने वाले लोगों को सरकार द्वारा उसी जमीन का कृषि और आवासीय पट्टा प्रदान किया जा रहा है. जंगल के काटे जाने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है साथ ही वन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे में है. याचिका में कहा गया था कि जंगलों को बचाने के लिए साल 2001 में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कमेटी गठित की थी. कमेटी ने साल 2003 में अपनी अनुशंसाओं की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस कमेटी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट को अलमारी में बंद कर रख दिया गया है.

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2 सप्ताह बाद होगी अगली सुनवाई

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया. इसमें बताया गया कि जंगल की कटाई बंद हो चुकी है. जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि एक ही परिवार के कई सदस्यों को पट्टे आवंटित किये गये हैं. पट्टे की आड़ में जंगल की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों का पालन नहीं किया जा रहा है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को रिजॉइंडर पेश करने की मोहलत देते हुए अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता डॉ अनुवाद श्रीवास्तव ने पैरवी की.

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