भोपाल: मध्य प्रदेश के कर्मचारी महंगाई भत्ते, घर के भाड़ा भत्ता सहित अन्य भत्तों को लेकर मुखर होते जा रहे हैं. प्रदेश में कर्मचारियों के वाहन भत्ते और मकान भत्तों में बीते 12 सालों से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. उधर, महंगाई भत्ता भी केन्द्रीय कर्मचारियों की अपेक्षा 4 फीसदी कम मिल रहा है. सिंघल आयोग का कार्यकाल एक साल बढ़ाए जाने से कर्मचारियों की मांगों को झटका लगा है. अब कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ 4 अगस्त को अधिवेशन करने जा रही है. इसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.
कर्मचारियों में बढ़ रही नाराजगी
मध्य प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारियों में केन्द्र के समान महंगाई भत्ते, मकान भत्ता, यात्रा भत्तों के अलावा एक दर्जन मांगों को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है. कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों के मामलों को लेकर भी सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उधर, राज्य सरकार द्वारा सिंघल आयोग का कार्यकाल बढ़ाने से जल्द इसे निपटाने की दिशा में झटका लगा है. प्रदेश में लिपिकों के वेतन में करीब 30 सालों से वेतन विसंगतियां चली आ रही हैं. प्रदेश में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी के वेतन में सिर्फ 100 रुपए का अंतर है, जबकि दोनों के काम में बहुत अंतर है.
पिछली गलतियों से सबक लेगी सरकार
प्रदेश में पटवारी, सहायक ग्रेड 3 का वेतनमान डाटा एंट्री ऑपरेटर से कम है. मध्य प्रदेश कर्मचारी अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र सिंहकहते हैं कि ''हमें उम्मीद है कि प्रदेश की मोहन सरकार कर्मचारियों के हित में किए जाने वाले निर्णयों पर सरकार द्वारा की गई पिछली गलतियों से सबक लेगी. सिंघल आयोग ने पिछले कार्यकाल में वेतन आयोग के लिए कोई पैरामीटर्स ही तय नहीं किए. अब कार्यकाल फिर बढ़ा दिया गया, लेकिन जब तक वेतन विसंगतियां दूर करने का पैरामीटर्स नहीं बनेगा, तब तक कार्यकाल बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है. आयोग कर्मचारी संगठनों से इस संबंध में संवाद करे.''