मथुराःखुद को सुर्खियों में लाने के लिए तरह-तरह के प्रोपेगेंडा अपनाते हैं. ऐसा ही एक मामला कान्हा की नगरी मथुरा में देखने को मिला है. बरसाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत नंदगांव चौकी क्षेत्र में सिरफिरे ने बाजार और आम घरों की दीवारों पर लिख दिया कि यदुवंशी भगवान श्रीकृष्ण जाट थे. पौराणिक मान्यताओं से अलग बात करने पर बवाल हो गया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुकदमा दर्ज कर जाच शुरू कर दी है.
दीवारों पर बड़े अक्षरों परि 'नंदगांव का इतिहास का इतिहास' लिखा गया है. इसके नीचे लिखा है कि 'यदुवंशी जाट राजा देवमीढ़ ( जो कि यदु महाराज की 41वीं पीढी से थे) की दो पत्नियां थी. एक पत्नी से पर्जन्य वदूसरी पत्नी से शूरसेन का जन्म हुआ. शूरसेन के वासुदेव और वसुदेव के भगवान कृष्ण हुए. राजकुमार पर्जन्य ने एक पहाड़ी के निकट जाकर तपस्या की व ऋषि बनकर वहीं रहने लगे. पर्जन्य का विवाह खरोट ग्राम के रघुवंशी (लव के वंशज) लोकहाना जाटों की पुत्री वरीयसी से हुआ. पर्जन्य के मध्यम पुत्र के रूप में नंदराय (नन्दबाबा) का जन्म हुआ.'
आगे लिखा है कि 'नन्दबाबा ने इसी पहाड़ी पर महादेव का मंदिर बनवाया. जिसे नंदीश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इसी पहाड़ी को नंदीश्वर पर्वत के नाम से जाना जाता है. नन्दबाबा के नाम पर ही इस गांव का नाम नन्दगांव पड़ा. नन्दबाबा का विवाह ग्राम मेहराना के जाट जागीरदार गिरिवानु की पुत्री यशोदा से हुआ. उस वक्त कैशी दैत्य का खतरा नन्दगांव पर मडरा रहा था. अतः पर्जन्य की सहायता के लिए ग्राम खरोट ग्राम से रघुवंशी लोहकाना जाटों का एक समूह नंदगांव में आकर बसा. परंतु नंनदबाबा इस खतरे से बचने के लिए गोकुल जाकर बस गए. वहीं पर अंधक वंशी जाट राजा कंस ने उनको वहां चैन से नहीं रहने दिया। अतः उनको नन्दगांव में वापस लौटना पड़ा. नंदगांव में कृष्ण का लालन-पालन हुआ. सन 1764 में मुगलों पर भरतपुर नरेश महाराज सूरजमल की विजय के पश्चात यदुवंशी जाट रूपसिंह ने नन्दबाबा के मंदिर का भव्य निर्माण करवाया और मंदिर के लिए कृषि भूमि दान दी'.