हजारीबागःलोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशी रिलैक्स मूड में हैं. उधर, चुनाव खत्म होने के बाद चौक-चौराहों पर हार-जीत की गणित पर चर्चा हो रही है. बातचीत के केंद्रबिंदु में भीतरघात एक आम शब्द है. हार-जीत का मूल्यांकन करने वाले हर भी लोग इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने में अभी कुछ दिन और शेष रह गए हैं. लेकिन में शहर के चौक-चौराहे और गांव की चौपाल पर कयासों का दौर जारी है. कोई हजारीबाग में भाजपा और कांग्रेस के सीधा मुकाबाल बता रहा है तो कोई तीसरे विकल्प को मजबूत बता रहा है.
लोग संजय मेहता को भी मान रहे हैं बड़ा फैक्टर
लोगों का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस का खेल कोई बिगाड़ सकता है तो वह हैं संजय मेहता. बताते चलें कि संजय मेहता निर्दलीय चुनाव लड़े थे. राज्य में हाल के कुछ महीनों में युवा छात्र नेता जयराम महतो का एक नया सियासी उभार देखा जा रहा है. स्थानीय नियोजन नीति और भाषा समेत अन्य विभिन्न मुद्दों को लेकर जयराम महतो ने उत्तरी और दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के विभिन्न जिलों में आंदोलन चलाया. झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति नामक संगठन बनाया है. इसी संगठन के हजारीबाग के उम्मीदवार संजय मेहता हैं.
कुछ ने त्रिकोणीय मुकाबला तो कुछ ने भाजपा का पलड़ा भारी बताया
हजारीबाग के स्थानीय लोगों का कहना है कि कौन जीतेगा? इसे लेकर दावा करना मुश्किल है. लोगों ने कहा कि हजारीबाग भाजपा की पारंपरिक सीट रही है, लेकिन संजय मेहता के एंट्री के बाद त्रिकोणीय मुकाबला के आसार हैं. वहीं कई लोगों ने भाजपा का पलड़ा भारी बताया, लेकिन यह भी कहा कि जीत उतनी भी आसान नहीं है. हालांक जीत एक वोट से हो या एक लाख वोट से जीत तो जीत ही कहलाती है.
तीन जून तक चलता रहेगा कयासों का दौर
बहरहाल चर्चा का बाजार 3 जून तक इसी तरह गर्म रहेगा. लेकिन यह बात भी सच है कि इस लोकसभा चुनाव में हजारीबाग के युवा नेता ने भी जनता के दिल में अपनी जगह बनाई है. जो आने वाले समय में बदलाव का प्रतीक भी माना जा सकता है.
हजारीबाग से 17 प्रत्याशी हैं चुनाव मैदान में