पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है लेकिन सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुटे गये हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के समय राजनीतिक हाशिये पर चली गयी पशुपति पारस की पार्टी अचानक चर्चा में है. पहली चर्चा तो उनसे रामविलास पासवान के जमाने का दफ्तर खाली करवाकर चिराग पासवान को देने से शुरू हुई है. इसके बाद पारस ने जिला स्तर के नेताओं के साथ मैराथन बैठक कर विधानसभा चुनाव की तैयारी का ऐलान किया. अब, रामविलास पासवान की विरासत पर दावा ठोकने की तैयारी कर रहे हैं.
इमोशनल कार्ड खेलने की तैयारीः पशुपति पारस ने रामविलास पासवान द्वारा खड़ी की गयी पार्टी का स्थापना दिवस समारोह रामविलास पासवान के पैतृक गांव खगड़िया के शाहरबन्नी में करने का निर्णय लिया है. 28 नवंबर को लोजपा का स्थापना दिवस है. यहां बता दें कि लोजपा अब अस्तित्व में नहीं है. इसका चिह्न 'झोपड़ी' चाचा-भतीजे की लड़ाई में जब्त कर लिया गया है. फिर भी पार्टी का स्थापना दिवस दोनों गुटों के द्वारा मनाया जाता रहा है. 19 एवं 20 नवंबर को पार्टी की बैठक में पशुपति कुमार पारस ने लोजपा का स्थापना दिवस पैतृक गांव में मनाने का निर्णय लिया था.
रालोजपा की बैठक . (फाइल फोटो) (ETV Bharat) राजनीति में एक और 'पासवान' की होगी एंट्रीःदरअसल, इस स्थापना दिवस को पशुपति कुमार पारस अपने बेटे लॉंचिंग पैड के रूप में इस्तेमाल करना चाह रहे हैं. पारस के बेटे यशराज पासवान इस स्थापना दिवस समारोह की तैयारी में जुटे हुए हैं. आरएलजेपी और दलित सेवा के सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को इस बार खगड़िया स्थित पैतृक गांव में आने का निर्देश दिया गया है. रामविलास पासवान के रहते ही उनके पुत्र चिराग पासवान और रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र प्रिंस राज पासवान की राजनीति में एंट्री हो गई. अब पासवान परिवार के एक नए सदस्य की राजनीति में एंट्री होने वाली है.
अलौली से लड़ सकते हैं चुनावः यशराज पासवान आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. आरएलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि खगड़िया पशुपति कुमार पारस का गृह जिला है. अलौली विधानसभा क्षेत्र रामविलास पासवान और पशुपति कुमार पारस की कर्मभूमि रही है. 1969 में रामविलास पासवान पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से अलौली से विधायक चुने गए थे. रामविलास पासवान जब सांसद बने थे, तो उन्होंने अपनी विरासत पशुपति कुमार पारस को सौंपी थी. पशुपति कुमार पारस अलौली विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक चुने गए थे.
अमित शाह के साथ पारस. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) "यशराज पासवान पिछले कई वर्षों से लगातार अलौली की जनता के सुख-दुख में शामिल होते रहे हैं. पिता की कर्मभूमि पर निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं. वहां के स्थानीय लोगों की मांग है कि यशराज पासवान अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएं. पार्टी एवं दलित सेना के नेताओं के द्वारा यशराज पासवान को राजनीति में लाने की बराबर मांग हो रही थी."- श्रवण अग्रवाल, प्रवक्ता, रालोजपा
श्रवण अग्रवाल, प्रवक्ता, रालोजपा (फाइल फोटो) (ETV Bharat) यशराज से कोई चुनौती नहींः पशुपति पारस के बेटे यशराज के राजनीति में आने की चर्चा के बाद बिहार की राजनीति में इस बात की चर्चा जोड़ पकड़ने लगी है कि, क्या इससे चिराग पासवान की टेंशन बढ़ेगी? लोजपा रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने चुनौती मिलने की बात से इंकार किया. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने चिराग पासवान के चेहरे पर अपना भरोसा जाता दिया है. राजेश भट्ट ने कहा कि सभी को राजनीति में आने का अधिकार है. हर कोई स्वतंत्र है कि वह जहां से मन कर चुनाव लड़े. राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि पासवानों के सबसे बड़े नेता के रूप में चिराग पासवान ने अपने आप को स्थापित कर लिया है.
अमित शाह के साथ चिराग पासवान. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) चिराग खुद को स्थापित कर चुके हैंः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि पशुपति कुमार पारस की पहचान रामविलास पासवान के छोटे भाई के रूप में अभी तक होती रही है. रामविलास पासवान के निधन के बाद जिस तरीके से पार्टी और परिवार में टूट हुई उसके बाद चिराग पासवान ने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि पशुपति कुमार पारस अपने पुत्र यशराज पासवान को राजनीति में लाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि पासवानों के सबसे बड़े नेता के रूप में चिराग पासवान ने अपने आप को स्थापित कर लिया है. बिहार विधानसभा उप चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव 2024, चिराग पासवान ने अपने आपको साबित किया है.
"भले ही पशुपति कुमार पारस अपने पुत्र को राजनीति में ला रहे हैं, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में यदि उनको टिकट दे दिया जाता है तो उनका राजनीतिक सफर इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पासवान जाति के लोग भी चिराग पासवान को अपना नेता मान चुके हैं."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
पारस की बैठक में मौजूद कार्यकर्ता. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) क्या, प्रिंस भी लड़ेंगे विधानसभा चुनावः आरएलजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया कि यशराज पासवान 2020 में वह 25 वर्ष के नहीं हुए थे इसीलिए वह चुनाव नहीं लड़ सके थे. श्रवण अग्रवाल ने बताया कि पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में उनके चुनाव लड़ने पर अंतिम मुहर लगेगी. समस्तीपुर के पूर्व सांसद और रामचंद्र पासवान के बड़े बेटे प्रिंस राज भी विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. श्रवण अग्रवाल ने बताया कि प्रिंस राज और उनके भाई कृष्णा राज पासवान में से कोई एक विधानसभा का चुनाव लड़ेगा. श्रवण अग्रवाल ने बताया कि कुशेश्वरस्थान, कल्याणपुर और रोसड़ा में किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
लोजपा का कब हुआ था गठनः बिहार की राजनीति के सबसे बड़े दलित चेहरा रहे रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 को जनता दल से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था. लोक जनशक्ति पार्टी के निर्माण के बाद उन्होंने भाजपा एवं राजद दोनों के साथ राजनीति की. लोजपा के गठन होने के बाद उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री बने. इसके बाद उन्होंने यूपीए में शामिल होने का फैसला किया. 2014 लोकसभा चुनाव के समय एक बार फिर से रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ गठबंधन किया. नरेंद्र मोदी के दोनों कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे.
लोजपा में पारस की क्या थी भूमिकाः रामविलास पासवान अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस पर बहुत भरोसा करते थे. यही कारण है कि पहली बार सांसद बने के बाद उन्होंने अलौली विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया तो अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया. पशुपति कुमार पारस पर रामविलास पासवान को इतना भरोसा था कि संगठन का सभी काम उन्हीं के जिम्मे रहता था. भले ही उनकी सियासत रामविलास पासवान की छत्रछाया में फूली-फली, लेकिन वे 7 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हैं. 1 बार बिहार विधान परिषद के सदस्य और एक बार लोकसभा सांसद रहे. बिहार सरकार में चार बार मंत्री और 1 बार मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.
स्थापना दिवस को ऐतिहासिक बनाने की तैयारीः खगड़िया के शहरबन्नी में होने वाले स्थापना दिवस समारोह को लेकर पार्टी के सभी बड़े नेता पहुंचने लगे हैं. आरएलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बताया कि स्थापना दिवस समारोह में रामविलास पासवान और उनके छोटे भाई रामचंद्र पासवान की प्रतिमा का अनावरण भी किया जाएगा. बता दें कि पशुपति कुमार पारस खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र से 7 बार विधायक रह चुके हैं. गृह जिला होने के कारण खगड़िया में पशुपति कुमार पारस का व्यापक जनाधार है. अगर पारस अकेले चुनाव लड़े तो खगड़िया में NDA को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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