हल्द्वानी: उत्तराखंड वन विभाग बड़े पैमाने पर लीसा का उत्पादन करता है. लीसे से सरकार को भी भारी मात्रा में राजस्व की प्राप्ति होती है. लेकिन वन विभाग के गोदाम से नीलामी कम होने से माल गोदाम से नहीं उठ सका. जिसका नतीजा है कि हल्द्वानी के सुल्तान नगरी और काठगोदाम लीसा डिपो में करीब 70 हजार कुंटल लीसे का स्टॉक पड़ा है. जिसकी कीमत एक अरब से अधिक बताई जा रही है.
लीसे जैसे ज्वलनशील पदार्थ सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है.लीसे की सुरक्षा को लेकर स्टाफ अलर्ट है. लीसा डिपो की अग्नि सुरक्षा को लेकर भी कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों ने लीसा डिपो में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर निर्देशित किया है.उत्तराखंड में लीसे के चार सबसे बड़े केंद्र है, जहां हल्द्वानी के सुल्ताननगरी व काठगोदाम के हनुमानगढ़ी,नरेंद्र नगर और टनकपुर में लीसे के डिपो हैं. पहाड़ों पर चीड़ के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ यानी लीसा को निकासी के बाद यहां डंप किया जाता है.कुमाऊं में लीसे का बड़ा कारोबार है, इसका इस्तेमाल तारपीन तेल बनाने, कांच, कागज, कपड़ा आदि उद्योगों में भी किया जाता है.
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