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मनाली पहुंचे सोनम वांगचुक ने कहा- लेह से दिल्ली पदयात्रा लोगों की भावनाओं की यात्रा, हिमाचल का जताया आभार, जानें क्या है लद्दाख की मांगे? - Sonam Wangchuk

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 7:15 AM IST

Leh to Delhi Trek of Sonam Wangchuk: पर्यावरणविद सोनम वांगचुक लेह से दिल्ली तक पदयात्रा कर रहे हैं, ताकि केंद्र सरकार के सामने लद्दाख से जुड़ी मांगों को उठा सकें. इस यात्रा के दौरान वो मनाली पहुंचे और उन्होंने हिमाचल के लोगों का समर्थन देने के लिए आभार व्यक्त किया.

Leh to Delhi Trek of Sonam Wangchuk
सोनम वांगचुक की लेह से दिल्ली पदयात्रा (ETV Bharat)

सोनम वांगचुक, पर्यावरणविद (ETV Bharat)

कुल्लू: 'लेह से लेकर दिल्ली तक की जो पदयात्रा की जा रही है, वो लोगों की भावनाओं से जुड़ी हुई है और हिमाचल प्रदेश में भी इस पदयात्रा को लोगों का खूब समर्थन मिल रहा है'. ये बात पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने मनाली में कही. सोनम वांगचुक लेह से दिल्ली की पदयात्रा कर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने मनाली में भी लोगों के साथ मुलाकात की ओर उनका समर्थन करने के लिए जनता का आभार व्यक्त किया.

हिमाचल की जनता का जताया आभार

सोनम वांगचुक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जनता उनका समर्थन कर रही है और इस पदयात्रा में लोग भी साथ चल रहे हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उनकी ये पदयात्रा अब जल्द ही सफल होगी और हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण को लेकर जो मुद्दे उन्होंने रखे हैं, उन सभी मुद्दों पर केंद्र सरकार के द्वारा भी विचार किया जाएगा. सोनम वांगचुक अपनी पद यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों से भी मिल रहे हैं और पदयात्रा के लिए आम जनता का भी समर्थन मांगा जा रहा है.

सोनम वांगचुक की मुख्य मांगें

गौरतलब है कि सोनम वांगचुक की नेतृत्व में निकली ये पदयात्रा कुछ मांगों को लेकर शुरू की गई है. जिसमें लद्दाख को राज्य बनाने, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने, लोकसभा की दो सीटें बनाने जैसी मांगें शामिल हैं. 2 अक्टूबर को ये पदयात्रा यात्रा दिल्ली में संपन्न होगी. वांगचुक का कहना है कि वो छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की मांग इसलिए कर रहे हैं, ताकि स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने का अधिकार मिल सके. इससे पहले वांगचुक ने अपनी मांगों को लेकर मार्च में लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए 21 दिनों की भूख हड़ताल भी की थी.

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