हजारीबागः शहर के झील के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. रखरखाव और साफ सफाई के अभाव में इसकी सुंदरता अब समाप्त होती जा रही है. हजारीबाग पूरे झारखंड में एक ऐसा जिला है जहां एक ही परिसर में पांच झील है. झील आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है. प्रशासनिक उदासीनता और असामाजिक तत्वों के कारण इसकी सुंदरता पर ग्रहण लग गया है.
बरसात के दिनों में झील पानी से लबालब भर जाती थी लेकिन इस बार भरी भी नहीं. क्योंकि शहर का पानी जिस नाले के जरिए आता था उसे बंद कर दिया गया. इस कारण वाटर रिचार्ज भी झील में नहीं हो पाया है. आलम यह है कि जलकुंभी से झील का पानी ढक चुका है. इसे देखने वाला कोई नहीं है. इसकी सफाई के लिए लाखों रुपए की जो मशीन खरीदी गयी है, वो आज हाथी दांत साबित हो रहा है. यह बातें हजारीबाग के वरिष्ठ भाजपा नेता भैया अभिमन्यु प्रसाद ने कही हैं. उनका कहना है कि ये बातें वो हजारीबाग के नागरिक होने के नाते कर रहे हैं. प्रशासनिक पदाधिकारी के कार्यालय का चक्कर काट-काटकर और विरोध दर्ज करने के बाद भी झील की स्थिति सुधरी नहीं है. इस कारण अब अपनी बातों को मीडिया में रखने के लिए बेबस हूं.
भैया अभिमन्यु प्रसाद का कहना कि झील लोग स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए प्रत्येक दिन सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं. अब लोगों की आने की संख्या भी घट रही है. क्योंकि पानी सड़ चुका है और उसमें दुर्गंध है. जलकुंभी के कारण पानी अब दिखता तक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि झील परिसर में लोग कुड़ा डालने आ रहे हैं. यही नहीं झील के एक भाग में सेप्टिक टंकी का पानी भी गिरा दिया जा रहा है.
नगर निगम ने लगभग दो करोड़ रुपये की लागत से आत्धुनिक वीड हार्वेस्टर मशीन की खरीदारी की थी लेकिन वह मशीन का उपयोग नहीं हो रहा है. उसके रखरखाव ड्राइवर और डीजल के नाम पर पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है. उन्होंने यह भी झील परिसर के रखरखाव और सुंदरता के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि झील परिसर को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाए. उन्होंने यहां एक बड़ी बात कहा कि जितने भी बड़े अधिकारी हैं वह झील परिसर में कोई ना कोई टेंडर अपने भाई भतीजा के नाम पर करवा देते हैं. जिस कारण इसकी प्राकृतिक सुंदरता के साथ खिलवाड़ हो जाता है.
इसको लेकर स्वच्छता स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा का कहना है कि झील परिसर में एक और समस्या आ रही है लोग वृक्ष के पत्ते, टहनी, छाल काट कर ले जा रहे हैं. जिस कारण वृक्षों की उम्र भी घट रही है. इस पर भी रोक होनी चाहिए. संस्था के सचिव शैलेश ने कहा प्रत्येक दिन समिति के सदस्य आपस में पैसा जमा कर यहां सफाई करवा रहे हैं. जिला प्रशासन, नगर निगम, मत्स्य विभाग को झील पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. क्योंकि शहर के बीच में ऐसी प्राकृतिक जगह शायद ही कहीं मिल पाए.