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खतरे में लाहौल-स्पीति के ये 6 गांव, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा - Lahaul Spiti Disaster

Lahaul Spiti 6 Villages in Danger: हिमाचल प्रदेश में पिछले साल से बरसात जमकर तबाही मचा रही है. बरसात ने प्रदेश को कभी न भूलने वाले जख्म दिए हैं. वहीं, अब लाहौल स्पीति में भी 6 गांवों के वजूद पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. यहां के लोग डर के साए में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Lahaul Spiti 6 Villages in Danger
खतरें में लाहौल-स्पीति के गांव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 1, 2024, 7:38 AM IST

लाहौल-स्पीति: बीते साल से हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है. अब जिला लाहौल स्पीति के 6 गांवों के वजूद को खतरा पैदा हो गया है. इन गांवों के लोगों के पास किसी दूसरी जगह में बसने का भी कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में ये ग्रामीण अपना बसेरा कहां लगाएं? इसके बारे में स्थानीय लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा है.

सदन में भी गूंजा इन गांवों का मुद्दा

लाहौल-स्पीति में बीते दिनों हुई बरसात के चलते इन गांवों को खतरा पैदा हुआ है. जिसके बाद से गांव में रहना लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि कभी भी इन गांवों पर संकट का पहाड़ गिर सकता है. ऐसे में इससे पहले कि गांवों में अनहोनी हो सरकार की ओर से कोई उचित कदम उठाए जाने चाहिए. घाटी में खत्म हो रहे गांवों के वजूद मामले को भी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाया गया है और संकटग्रस्त गांवों को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार से केंद्र को प्रपोजल भेजने की सिफारिश की गई है.

लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने सदन में कहा, "मेरे विधानसभा क्षेत्र के 6 गांव जिसमें जाहलमा पंचायत के जसरथ, तडंग, लिंदूर, मथाड़ घाटी का करपट, स्पीति का शीचलिंग और सगनम गांव शामिल हैं. इन गांवों में बरसात के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि यहां के लोगों को गांव में रहना काफी मुश्किल हो गया है. इससे पहले कि कोई अनहोनी हो. हमें इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए. खासकर डिजास्टर के मामले में पुनर्स्थापन के लिए केंद्र को ऐसा प्रपोजल बनाकर भेजना चाहिए जिससे इन गांवों को सुरक्षित किया जा सके."

पुनर्स्थापना के आड़े आ रहा एफसीए कानून

लाहौल-स्पीति जिले में करीब 89 प्रतिशत जमीन सरकारी यानी वन भूमि है. उसके बाद जो जमीन लोगों के पास हैं. जिसमें प्रभावित गांवों के लोगों की जमीनें बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई हैं और दूसरी जगह कोई जमीन नहीं है. ऐसे में एफसीए जैसे कानून पुनर्स्थापन के आड़े आ रहे हैं. जिसके चलते लोगों को पुनर्स्थापन करने की कोशिश अधूरी रह रही है.

बाढ़ में बही क्षतिग्रस्त हुई जमीनें (ETV Bharat)

लैंडस्लाइड से आई जमीन में दरारें

प्रभावित गांवों के ग्रामीण हेमंत कुमार, ताशी नोरबू, हरिचंद, महिला लता देवी, डोलमादेवी का कहना है कि यहां पर लैंडस्लाइड के चलते जमीनों में दरारें आ गई हैं और कई घरों के गिरने का खतरा बना हुआ है. कई घरों में भी दरारें आ गई हैं. वो लोग तंबुओं में रहने को मजबूर हो गए हैं. इसके अलावा नदी के बहाव के चलते हर बार खेत और जमीन बाढ़ की चपेट में आ जाती है. सरकार को चाहिए कि अब ग्रामीणों को यहां से दूसरी जगह पर भेजा जाना चाहिए, ताकि वो आराम से अपना गुजर बसर कर सकें.

विधायक अनुराधा राणा ने कहा, "लाहौल स्पीति के जिन गांवों को पुनः स्थापित करना है. उसके लिए घाटी में वन भूमि की अधिकता होने के कारण पुनर्स्थापन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार को इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजना चाहिए. आपदा को देखते हुए पुराने आर्किटेक्चर को फिर से शुरू करने की जरूरत है. घाटी के संकटग्रस्त गांवों को बचाने के लिए समय पर उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है."

लाहौल स्पीति के डीसी राहुल कुमार ने बताया, "संकटग्रस्त गांवों को लेकर लाहौल स्पीति प्रशासन योजना बना रहा है कि इन गांवों का क्या किया जा सकता है? इन गांवों को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं? इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. इस संदर्भ में एसडीएम से भी स्टडी करने का आग्रह किया गया है. स्टडी करने के बाद ही इस बात का पता चल पाएगा कि ये गांव कितने सुरक्षित हैं. उसके बाद आगे की योजना बनाई जा सकती है."

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