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लाहौल की घेपन लेक का बढ़ा दायरा, झील टूटने का मंडराया खतरा, दिल्ली की एक्सपर्ट टीम करेगी निरीक्षण - Lahaul ​​Ghepan Lake

​​Ghepan Lake Area Increased: लाहौल-स्पीति में स्थित घेपन लेक का दायरा बढ़ा है. इसका दावा सैटेलाइट इमेजेज आधार पर किया जा रहा है. ऐसे में अब दिल्ली के एक्सपर्ट्स की टीम इस झील का निरीक्षण करेगी. वहीं, इसके अलावा घेपन लेक के टूटने की भी आशंका जताई जा रही है.

Lahaul ​​Ghepan Lake Area Increased
घेपन लेक का बढ़ा दायरा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 2:13 PM IST

लाहौल-स्पीति: हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल स्पीति, किन्नौर और कुल्लू में समुद्रतल से 4714 मीटर की ऊंचाई पर बनी ग्लेशियर झीलों की पड़ताल के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम अब इन इलाकों का दौरा करेंगी. ये दल लाहौल-स्पीति की घेपन लेक, किन्नौर की बासपा अपस्ट्रीम और सतलुज के साथ कुल्लू की पार्वती झील की गहन पड़ताल करेंगे.

झील के टूटने की आशंका

लाहौल घाटी की घेपन लेक अभियान के लिए विक्रम गर्ग, कमलेश पवार, डॉक्टर भानू प्रताप, डॉक्टर विनय कुमार और प्रदीप चतुर्वेदी विशेषज्ञ टीम डॉ. शामिल होगें. इस टीम को लाहौल स्पीति के सहायक आयुक्त संकल्प गौतम और डीएफओ अनिकेत वानवे की टीम बैकअप देगी. वहीं, सैटेलाइट इमेजेज आधार पर घेपन लेक का दायरा बढ़ने का दावा किया गया है. जिस कारण इस झील के टूटने से लाहौल में आपदा की स्थिति उत्पन्न होने की भी आशंका जाहिर की गई है. लिहाजा किसी आपदा से पहले इस त्रासदी से बचने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने ये पहल की है.

लाहौल की घेपन झील (ETV Bharat)

92 हेक्टेयर में फैली घेपन झील

लाहौल-स्पीति में 4098 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मौजूदा समय में घेपन झील 92 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. घेपन लेक एक्सपीडिशन में देश के जाने माने भू-गर्भ और ग्लेशियर पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम शामिल है. एक्सीपिडीशन के दौरान टीम घेपन लेक से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर स्टडी करेंगे. जिनमें झील की गहराई, बैरियर स्ट्रेंथ, मोरेल-डैम हाइट एंड विड्थ, झील में जलस्तर, क्षेत्र की जिऑलॉजीकल स्थिति, भूस्खलन और एवलांच की संभावना जैसे करीब 20 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन जांच करेंगे.

"घेपन झील की बारीक निरीक्षण के बाद इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र और राज्य सरकार को सौंपी जाएगा, ताकि समय रहते किसी प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए धरातल पर ठोस कदम उठाया जा सके." - राहुल कुमार, डीसी, लाहौल-स्पीति

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