रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व चन्द्र शिला की तलहटी में बसा भगवान तुंगनाथ धाम आज भी विकास से कोसों दूर है. जिसका कारण वन अधिनियम के अंतर्गत आने वाला सेंचुरी एरिया है. यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटकों को बिजली, शौचालय, पेयजल से लेकर अन्य समस्याओं से जूझना पड़ता है, जबकि सबसे ज्यादा परेशानी, उन्हें तब होती है, जब उनके मोबाइल से नेटवर्क ही गायब हो जाते हैं.
तुंगनाथ धाम में आधुनिक सुविधाओं का अभाव (ईटीवी भारत) तुंगनाथ धाम में मूलभूत सुविधाओं का अभाव:दो वर्ष पूर्व निवर्तमान गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के प्रयासों से चोपता व बनियाकुंड में संचार निगम के दो मोबाइल टावर लगाने की स्वीकृति तो मिली थी, लेकिन मोबाइल टावरों के निर्माण में वन अधिनियम अंतर्गत आने वाला सेंचुरी क्षेत्र बाधक बना है. मोबाइल टावरों का निर्माण कब होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों में संचार व बिजली सुविधा न होने से तुंगनाथ घाटी का तीर्थाटन और पर्यटन व्यापार पर खासा असर देखने को मिल रहा है.
तुंगनाथ धाम में मूलभूत सुविधाओं का अभाव (ईटीवी भारत) कांग्रेस ने साधा निशाना:कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री आनंद सिंह रावत ने कहा कि अगर तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ाव संचार और बिजली सुविधा से लैस होते हैं, तो मंदिर समिति की आय में खासी वृद्धि होने के साथ तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में इजाफा हो सकता है, जिसका लाभ तुंगनाथ घाटी की यात्रा के आधार शिविर ऊखीमठ के व्यापारियों को भी मिल सकता है.
जल्द होगा तुंगनाथ यात्रा का आगाज:पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात और चन्द्र शिला की तलहटी में बसे तुंगनाथ की यात्रा का आगाज होने में कुछ दिन का समय शेष रह है. आगामी सात मई को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ से भगवान तुंगनाथ की यात्रा का आगाज होगा. मंदिर समिति व मक्कू गांव के हक-हकूकधारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. जिसके तहत मंदिर समिति का एक दल तुंगनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेकर भी लौट गया है.
तुंगनाथ धाम में शिव की भुजाओं की होती है पूजा:पंच केदारों में तृतीय केदार और हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर की भुजाओं की पूजा होती है. तुंगनाथ धाम से एक किमी ऊपर चन्द्रशिला शिखर विराजमान है. चन्द्र शिला शिखर में गंगा मैया का मंदिर विराजमान है. चन्द्रशिला शिखर से जनपद रुद्रप्रयाग व चमोली की असंख्य पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्यालोकन एक साथ किया जा सकता है. तुंगनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है.
प्रथम रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी डोली:मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए मक्कू गांव के मध्य भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां पर ग्रामीणों द्वारा पुढखी मेले का आयोजन कर भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को नये अनाज का भोग अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाएगी. उन्होंने बताया कि आठ मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर में ही भक्तों को दर्शन देगी और 9 मई को चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर पाव, चिलायाखोड, पनेर, बनियाकुंड यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता पहुंचेगी. वहीं, समिति प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने कहा कि 10 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी. भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.
कैसे पहुंचें तुंगनाथ धाम:हरिद्वार से 204 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बस, टैक्सी या निजी वाहन से तहसील मुख्यालय ऊखीमठ पहुंचा जा सकता है. तहसील मुख्यालय ऊखीमठ से 28 किलोमीटर दूरी बस, टैक्सी या निजी वाहन से तय करने के बाद तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता पहुंचा जा सकता है और चोपता से चार किमी दूरी तय करने के बाद पैदल तुंगनाथ धाम पहुंच सकते हैं. रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड नेशनल हिल स्टेशन भीरी-परकंडी-मक्कू होते हुए भी चोपता पहुंच सकते हैं. तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता में निर्धारित दरों पर घोड़े खच्चर भी उपलब्ध हो जाते हैं. तुंगनाथ यात्रा के बाद तीर्थ यात्री केदारनाथ या फिर बदरीनाथ की यात्रा भी कर सकते हैं और परिवहन विभाग व यूनियन द्वारा निर्धारित किराये पर चोपता से गौरीकुंड, बदरीनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग और ऊखीमठ के लिए जीप, टैक्सी हर समय उपलब्ध रहती है.
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