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कोसी नदी का जलस्तर डेढ़ लाख क्यूसेक को किया पार, तटबंध के भीतर फैलने लगा बाढ़ का पानी - Kosi river water level - KOSI RIVER WATER LEVEL

Kosi water level in Supaul : शायद ही कोई ऐसा साल हो जब बिहार में बाढ़ से लोगों को दो-चार नहीं होना पड़े. एक बार फिर से इसने दस्तक देनी शुरू कर दी है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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18 फाटक खोले गए (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 20, 2024, 3:16 PM IST

सुपौल : नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बारिश का असर कोसी नदी में दिखने लगा है. जून माह में ही नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण तटबंध के भीतर बसे लाखों लोगों के आवागमन का अब एक मात्र साधन नाव ही हो गया है. लोग अपने निजी नाव को नदी में उतारना शुरू कर दिए हैं.

'सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं' :आरोप लगाया जा रहा है कि, जिला प्रशासन द्वारा अब तक चिन्हित घाटों पर सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. गुरुवार को कोसी नदी का डिस्चार्ज, साल के सर्वाधिक स्तर पर पहुंच कर डेढ़ लाख क्यूसेक पानी को पार कर गया. यह पानी अब तटबंध के भीतर फैलने लगा है. वहीं कोसी बराज पर पानी का डिस्पचार्ज घटने लगा है.

1.70 लाख क्यूसक तक पहुंचा जलस्तर : नदी का जलस्तर गुरुवार की सुबह 04 बजे तक बढ़ते क्रम में 1 लाख 70 हजार 350 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया. वहीं, बराह क्षेत्र में कोसी का जलस्तर बढ़ते क्रम में 01 लाख 01 हजार 750 क्यूसेक दर्ज किया गया. वहीं सुबह 10 बजे कोसी का जलस्तर घट कर 01 लाख 56 हजार 740 क्यूसेक स्थिर अवस्था में दर्ज किया गया. जल अधिग्रण क्षेत्र बराह में नदी का जल स्तर 01 लाख 32 हजार 500 क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया.

18 फाटक खोले गए : पूर्वी कोसी मुख्य नहर में 5 000 व पश्चिमी कोसी मुख्य नहर में 5000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. कोसी के बढ़ते जलस्तर को लेकर बराज के 18 फाटक खोले गए हैं. जलस्तर में वृद्धि के कारण कोसी तटबंध के भीतर बसे गांव के लोगों को जरूरी कार्यों के लिए तटबंध से बाहर आने की मुश्किल बढ़ गई है.

बरती जा रही चौकसी :बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, कोसी के दोनों तटबंध अपने सभी अवयवों के साथ पूरी तरह सुरक्षित है. कोसी के दोनों तटबंधों पर कोसी नदी के जलस्तर में आए चढ़ाव को देखते हुए सतत निगरानी और चौकसी बरती जा रही है. यदि नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हुई तो तटबंध के भीतर किसानों के खेत में अधिक मात्रा में पानी फैल जाएगा. जिससे किसान धान की फसल नहीं कर पाएंगे.

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