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दक्षिणी हरियाणा ने कैसे खिलाया 'कमल' ? जानिए कैसे कांग्रेस ने अपने ही गढ़ को गंवा दिया

दक्षिणी हरियाणा में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ है. यहां की 29 सीटों में से भाजपा को 22 सीटें मिली है.

CONGRESS DEFEAT IN SOUTH HARYANA
CONGRESS DEFEAT IN SOUTH HARYANA (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 9, 2024, 10:37 PM IST

Updated : Oct 9, 2024, 10:49 PM IST

फरीदाबाद: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम मंगलवार को घोषित हो चुके हैं. दशहरे पर भाजपा एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जा रही है. हालांकि एग्जिट पोल में कांग्रेस को भारी बहुमत मिलता धिक रहा था, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले सामने आए. वहीं अब कांग्रेस आत्मचिंतन में लगी है, कि ऐसे क्या कारण रहे जिससे वो जादूई आंकड़े से दूर रह गए.

बीजेपी की जीत में दक्षिणी हरियाणा का योगदान : इन सबके बीच दक्षिणी हरियाणा की बात ना करें तो बेमानी होगी, क्योंकि भाजपा की इस प्रचंड जीत में इस इलाका का भारी योगदान है. दक्षिणी हरियाणा को अहिरवाल क्षेत्र भी कहा जाता है, इस क्षेत्र से कई कांग्रेस के तो कई भाजपा के दिग्गज नेता कई सालों से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, राव दान सिंह जैसे दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते हैं, लेकिन फिर भी इस बार दक्षिणी हरियाणा में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, नूंह, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी ये वो जिले हैं जो दक्षिणी हरियाणा में आते हैं और इस विधानसभा चुनाव में नूंह को छोड़कर इन सभी जिलों में कांग्रेस को बुरी तरह से हार मिली है.

कांग्रेस संगठन में एकता नहीं थी : वरिष्ठ पत्रकार अमित नेहरा के अनुसार कांग्रेस की सबसे बड़ा हार का कारण संगठन का एक नहीं होना था, जिस तरह से बीजेपी ने अपना संगठन तैयार कर रखा था, वैसे कांग्रेस में संगठन नहीं था. इसके अलावा कांग्रेस को ओवर कॉन्फिडेंस ने भी दक्षिणी हरियाणा में बुरी तरह से मात दी है, क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में चली गई थी. इस वजह से वह दक्षिणी हरियाणा में लोगों से जुड़ नहीं पाई, वहीं लोकसभा के रिजल्ट के बाद भाजपा डरी हुई थी और बीजेपी ने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया था, लोगों के बीच जाने लगे जिसका फायदा बीजेपी को मिला.

टिकट वितरण में भी नासमझी : उन्होंने बताया कि इसके अलावा टिकट वितरण भी कांग्रेस का हार का कारण रहा. अच्छे और मजबूत कैंडिडेट को टिकट नहीं मिला बल्कि कई जगह ऐसे कैंडिडेट को टिकट दे दिया गया जो अपनी जमानत भी नहीं बचा सका. इसके अलावा रूठे हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नहीं मनाया गया, जिसकी वजह से कई निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हो गए, जिन्होंने कांग्रेस के वोट बैंक को डैमेज कर दिया.

राव इंद्रजीत सिंह के साथ शिफ्ट हो गया वोटबैंक : हालांकि 15 साल पहले की बात की जाए तो दक्षिणी हरियाणा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. इसमें मुख्य तौर पर राव इंद्रजीत का दबदबा रहता था, लेकिन जैसे ही राव इंद्रजीत कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए, उसी दिन से कांग्रेस का वोट बैंक बीजेपी की तरफ शिफ्ट होता चला गया. हालांकि इनके अलावा भी कांग्रेस में मौजूद कई पुराने और दिग्गज नेता हैं, जैसे रावदान सिंह, कैप्टन अजय यादव लेकिन फिर भी वह कांग्रेस को एकजुट नहीं कर पाए जिसकी बड़ी वजह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव का मतभेद भी है.

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अमित नेहरा कहते हैं कि इसका पूरा फायदा पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में बीजेपी को मिला. यही वजह है कि बीजेपी एक बार फिर दक्षिणी हरियाणा में कमल खिलाने में कामयाब रही. इसके अलावा दिल्ली से सटे एरिया की बात करें तो केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर का दबदबा फरीदाबाद व पलवल समेत कई जिलों में देखने को मिलता है. यह भी एक वजह है कि दक्षिणी हरियाणा में कांग्रेस कमजोर होते जा रही है. साथ ही, महेंद्रगढ़-भिवानी से सांसद धर्मवीर का भी अपना एक अलग वोट बैंक है, जिसकी वजह से बीजेपी को इसका फायदा मिला है. वहीं कांग्रेस से बीजेपी में आई पूर्व कैबिनेट मंत्री और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का भी एक अपना वोट बैंक है, जिसका सीधा असर भिवानी जिले में देखने को मिला.

महेंद्रगढ़ बेल्ट में रामविलास शर्मा का प्रभाव : उन्होंने कहा कि बात की जाए महेंद्रगढ़ बेल्ट की तो वहां पर पूर्व कैबिनेट मंत्री रामविलास शर्मा का एक अलग प्रभाव है. कांग्रेस की बात की जाए तो महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह का जितना पहले प्रभाव था, उतना अब नहीं है, क्योंकि वह हुड्डा गुट से आते हैं. वहीं दूसरी ओर दक्षिण हरियाणा में भी कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई नजर आ रही है. टिकट वितरण में भी भूपेंद्र हुड्डा के लोगों को ज्यादा टिकट मिला, जिसकी वजह से महिवाल क्षेत्र में कांग्रेस को हार मिली.

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नूंह को नहीं जीत पाई बीजेपी : उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस को नूंह जिले में फायदा मिला है, क्योंकि वहां पर एक खास जाति धर्म का वोट कांग्रेस को ही जाता है. नूंह जिले से पूर्व कैबिनेट मंत्री आफताब अहमद एक बड़े कांग्रेसी नेता के तौर पर जाने जाते हैं, और यही वजह है कि नूंह जिले में कांग्रेस को फायदा मिला लेकिन ओवरऑल दक्षिणी हरियाणा की बात की जाए तो वहां पर कांग्रेस को भारी नुकसान इस बार भी देखने को मिला है.

दक्षिणी हरियाणा में ये है भाजपा-कांग्रेस का प्रदर्शन -

फरीदाबादजिले में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें एक कांग्रेस को और पांच बीजेपी के खाते में गई है.
पलवलजिले में तीन विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से दो बीजेपी को और एक कांग्रेस के खाते में गई है. हैरान करने वाली बात यह रही कि होडल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी अपना सीट नहीं बचा सके.
रेवाड़ीमें तीन विधानसभा सीटें हैं. तीनों विधानसभा सीटें बीजेपी के खाते में गई है. रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री के बेटे विधायक चिरंजीव राव भी अपनी सीट नहीं बचा सके.
नूंहकी तीनों सीट कांग्रेस के खाते में गई हैं. हालांकि भाजपा ने भी दो मुस्लिम प्रत्याशी को यहां से उतारा था, लेकिन उसका फायदा बीजेपी को नहीं मिला.
गुरुग्रामलोकसभा क्षेत्र में अहिरवार के दिग्गज नेता और बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत का जबरदस्त प्रभाव है. यही वजह है कि गुरुग्राम विधानसभा की चारों सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं.
महेंद्रगढ़में चार में से तीन बीजेपी के खाते में तो एक कांग्रेस के खाते में गई है.
भिवानीजिले में विधानसभा की चार सीटें आती हैं, जिसमें से तीन पर बीजेपी का कब्जा रहा और एक कांग्रेस के खाते में गई हैं.
चरखीदादरी जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया है.
Last Updated : Oct 9, 2024, 10:49 PM IST

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