कुरुक्षेत्र: हाल ही में अमेरिका ने अवैध रूप से अमेरिका में जाने वाले लोगों को डिपोर्ट करके भारत भेजा है. भारत के 104 लोग अमेरिकन सेना के हवाई जहाज से भारत के अमृतसर एयरपोर्ट पर भेजे गए थे, जिसमें हरियाणा के 33 लोग शामिल थे. इन लोगों ने आकर डोंकी रुट और अमेरिका तक जाने की आपबीती बताई. अमेरिका जाने के दौरान उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया और प्रताड़ित किया गया. इसके अलावा उनके लाखों रुपए भी खर्च हुए. कई लोग 35 लाख से लेकर 70 लाख तक पैसे खर्च करके अमेरिका गए थे. मगर वह डिपोर्ट करके वापस भारत भेज दिए गए हैं.
अमेरिका में रह रहे हजारों परिवारों की क्या है स्थिति: बात अगर हरियाणा के उत्तरी क्षेत्र में पड़ने वाले तीन जिलों की करें तो करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल से सबसे ज्यादा लोग डिपोर्ट करके भेजे गए हैं. लेकिन अब यह भी चर्चा चल रही है कि अमेरिका के द्वारा और भी लोगों को डिपोर्ट करके भारत भेजा जाएगा, जिसके बाद वैसे हजारों परिवारों में चिंता सता रही है जिनको वहां पर ग्रीन कार्ड नहीं मिला है. वहां वे इस डर में हैं कि कहीं उन्हें डिपोर्ट करके भारत न भेज दिया जाए.
भारतीयों के अमेरिका से डिपोर्ट के बाद वहां रह रहे भारतीयों की क्या स्थिति है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने अमेरिका में रहने वाले भारतीय परमवीर सिंह से बातचीत की. परमवीर पिछले कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं. उनको वहां ग्रीन कार्ड भी मिल चुका है. परमवीर ने ईटीवी भारत संवाददाता मुनीष टूरन से अमेरिका के मौजूदा हालात पर खुलकर बातचीत की.
जानिए क्या कहते हैं ग्रीन कार्ड धारी: अमेरिका में रह रहे परमवीर सिंह ने कहा, "ट्रंप सरकार बनने के बाद अमेरिका ने अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वाले लोगों के ऊपर कार्रवाई की है. जिसमें 104 भारतीयों को डिपोर्ट करके भेजा गया है. अगर मौजूदा हालातों की बात करें तो अमेरिका के हालात जो सोशल मीडिया में दिखाया जा रहा है बिल्कुल उसके इतर है. डिपोर्ट उन लोगों को किया जा सकता है, जिन्होंने यहां पर अवैध तरीके से प्रवेश किया है. वो यहां पर आने के बाद कैंप में ना जाकर सीधा देश के किसी भी क्षेत्र में रहने लगे और काम करने लग गए है, क्योंकि ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो अवैध रूप से अमेरिका में चले जाते हैं लेकिन वह कैंप में ना जाकर अपने किसी परिचित के पास चले जाते हैं. अवैध रूप से वहां पर रहकर काम करने लग जाते हैं. ऐसे में उन लोगों पर सरकार कार्रवाई कर रही है. उनके डिपोर्ट होने के ज्यादा चांस बने हुए हैं."
अपराधिक मामले में शामिल होने पर हो सकते हैं डिपोर्ट: परमवीर ने आगे कहा, "ऐसे लोगों को भी डिपोर्ट किया जा सकता है, जो यहां पर अमेरिका में आने के बाद किसी भी प्रकार की आपराधिक घटना को अंजाम देते हैं. वह अगर यहां पर आकर छोटे से लेकर कोई बड़ा क्राइम करता है, तो उसके ऊपर सरकार निश्चित तौर पर कार्रवाई करती है. चाहे वह अमेरिका में परमानेंट रेजिडेंस ही क्यों ना हो. उसके ऊपर भी कार्रवाई की जा सकती है. उसको डिपोर्ट करके उसके देश वापस भेज दिया जाएगा."
ऐसे लोग नहीं होंगे डिपोर्ट: परमवीर ने कहा, "अमेरिका में अवैध रूप से जाने वाले लोग मेक्सिको से होकर बॉर्डर पार करके अमेरिका में शरण लेते हैं. अमेरिका में जाने के बाद वह अपने आप को पुलिस के हवाले कर देते हैं. इसके बाद पुलिस उनको कैंप में रखती है. उसके बाद उसका केस फाइल किया जाता है. उसका वहां पर फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं. फिर वहां के प्रशासन के द्वारा उसको एक नंबर दिया जाता है, जो आईडी के तौर पर काम करता है. फिर वह वहां पर जाकर अपना एक वकील हायर करता है, जो उसका केस वहां की अदालत में लड़ता है. उसमें वह अपने केस में बताता है कि उसने किस आधार पर अमेरिका में शरण ली है, जिसमें ज्यादातर ऐसे मामले होते हैं कि उसकी जान को खतरा है."
ऐसे लोगों को जल्द मिल जाता है वर्क परमिट: परमवीर ने आगे बताया, "इस प्रकार का हलफनामा दायर करते हैं. इसलिए वह अपने देश को छोड़कर अमेरिका में शरण लेने के लिए आया है. अगर न्यायालय को उसकी बात में सच्चाई लगती है तो वह उसको थोड़ा जुर्माना लगाकर, जिसे बॉन्ड कहा जाता है, कुछ ही सप्ताह में वर्क परमिट दे देती है, जिसके बाद वह अमेरिका में काम कर सकता है. लेकिन उसको अपनी निर्धारित तारीख के समय न्यायालय में अपने केस की सुनवाई के लिए जाना होता है. जब उसकी न्यायालय में सुनवाई होती है, तो उसको 16 क्लॉक या 17 क्लॉक कहा जाता है. ताकि आपको इतने सप्ताह में वर्क परमिट दे दिया जाएगा, इसके बाद आप यहां पर रहकर आसानी से काम कर सकते हैं."
बिना वर्क परमिट वालों पर कार्रवाई: अमेरिका में रह रहे परमवीर ने आगे कहा, "कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अमेरिका में गैर कानूनी तरीके से शरण लेकर वहां के कैंप में नहीं जाते हैं. वह सीधे ही अपने किसी जान पहचान वालों के पास चले जाते हैं, जिसके चलते उनका केस फाइल नहीं होता. ऐसे में उन लोगों को वर्क परमिट नहीं मिलता. तो वह बिना वर्क परमिट के ही वहां पर काम करते हैं, तो वैसे लोगों के ऊपर कारवाई की जा सकती है. अमेरिका की पुलिस इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है. जो भी दूसरे देश के लोग वहां पर रह रहे हैं और अपने काम पर आते-जाते समय या उनके काम के स्थान पर जाकर चेक किया जा रहा है कि उनके पास वर्क परमिट है या नहीं. अगर किसी के पास वर्क परमिट नहीं पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है."
"जो लोग अवैध रूप से अमेरिका में जाते हैं, तो वहां पर कैंप में जाने के बाद उनको किसी एक ऐसे व्यक्ति का पता बताना होता है. जो उनकी गारंटी ले सके. गारंटी वह लोग ले सकते हैं, जो वहां पर ग्रीन कार्ड धारक है या परमानेंट रेजिडेंशियल हैं. या फिर वहां पर वह हायर टैक्स पेयर में शामिल हैं. वह किसी व्यक्ति की गारंटी ले सकते हैं, लेकिन अगर वहां पर जाने के बाद वह व्यक्ति किसी प्रकार की अपराधिक मामले में जुड़ जाता है तो उसके बाद गारंटी लेने वाले व्यक्ति के ऊपर भी कार्रवाई हो सकती है उसको किसी प्रकार का जुर्माना सजा या डिपोर्ट तक किया जा सकता है." -परमवीर, ग्रीन कार्ड धारी भारतीय
अमेरिका मैक्सिको बॉर्डर पर बढ़ाई सुरक्षा: परमवीर ने ईटीवी भारत से कहा, "जो लोग डोंकी के जरिए अमेरिका में आ रहे हैं, उनके लिए अब अमेरिका में आने का सपना सपना ही बनकर रहने वाला है. लोगों से अपील भी है कि फिलहाल के लिए वह डोंकी के जरिए अमेरिका में नहीं आए. अगर वह अमेरिका में आना चाहते हैं तो एक नंबर में और वैध तरीके से ही आए, क्योंकि अमेरिका ने इस पर काफी सख्ती की हुई है. अमेरिका मैक्सिको बॉर्डर पर अतिरिक्त फोर्स लगाई हुई है. कैंप बनाए हुए हैं. अगर कोई वहां पर डोंकी के जरिए जाता है, तो उनको तुरंत डिपोर्ट करके वापस भेजा जा सकता है."
बढ़ते क्राइम के कारण बरती जा रही सख्ती: अमेरिका में रह रहे परमवीर ने बताया कि अमेरिका में पिछले कुछ समय में अपराधिक घटनाएं ज्यादा बढ़ती जा रही हैं. जिसके कारण यहां की सरकार ने इस पर गंभीरता से काम करते हुए इस प्रकार का कदम उठाया है, लेकिन जो सही तरीके से बिना किसी आपराधिक मामले में शामिल हुए बिना यहां पर रह रहा है. अपना काम कर रहा है, उसको किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं है. यहां पर सिर्फ उन लोगों के ऊपर कारवाई की जा रही है जो हाल में डोंकी मारकर अमेरिका में आए हैं. कैंप में रह रहे हैं या फिर उन लोगों को डिपोर्ट किया जाएगा, जिसके ऊपर किसी पर प्रकार का आपराधिक मामला दर्ज है या उसका केस दायर नहीं हुआ है."
यानी कि ये साफ है कि अमेरिका और मैक्सिको बॉर्डर पर काफी सख्ती बरती गई है. अवैध तरीके से प्रवेश वाले भारतीयों को डिर्पोट किया जा रहा है. साथ ही वैध तरीके से रह रहे लोगों पर कोई खतरा न होने की बात वहां रह रहे ग्रीन कार्ड धारक भारतीय कह रहे हैं.
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