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स्नान, दान के लिए विशेष है माघी पूर्णिमा, चंद्रमा की किरणें प्रदान करेंगी आरोग्यता - MAGH PURNIMA

12 फरवरी को माघी पूर्णिमा मनाई जाएगी है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. पढ़िए पूरी खबर.

माघी पूर्णिमा
माघी पूर्णिमा (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 10, 2025, 5:26 PM IST

जयपुर : स्नान, दान, जप और तप के लिए विशेष मानी जाने वाली माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दौरान छोटी काशी में ठाकुरजी के मंदिरों में देवदर्शनों के लिए सुबह से भक्तों का तांता लगेगा. शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में भगवान को धवल पोशाक धारण करवाकर सफेद व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.

इसी तरह आनंदकृष्ण बिहारी मंदिर, लाडली जी मंदिर, राधादामोदर जी, इस्कॉन मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी विशेष झांकियां सजेंगी. माघ महीने की पूर्णिमा पर कल्पवास खत्म हो जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को मोक्षप्राप्ति का दिन भी कहा गया है. माघ महीने में देवता पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं. कल्पवास में श्रद्धालु गंगा, संगम जैसी पवित्र नदियों के तट पर एक महीने निवास कर आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते हैं.

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ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर भगवान नारायण स्वयं गंगाजल में विराजमान रहते हैं, इसीलिए इस दिन गंगाजल के स्पर्श करने से भी स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप और संताप मिटते हैं. इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है. मत्स्य पुराण के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा में ब्राह्मण को दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. इस दिन यज्ञ, तप और दान करने का विशेष महत्व होता है. तिल, ऊनी वस्त्र, अन्न, घी, दुग्ध निर्मित वस्तु, गुड़ का दान करना पुण्यदायक होता है.

चंद्रमा की किरणें देंगी आरोग्यता :ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होता है. पूर्ण चंद्रमा अमृत वर्षा करता है. इसका अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ता है, इसीलिए इनमें आरोग्य दायक गुण उत्पन्न होते हैं. माघ पूर्णिमा में स्नान-दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन से द्वापर युग की शुरुआत भी हुई थी, जो भगवान कृष्ण का युग माना जाता है. इस दिन दान-पुण्य का काफी महत्व है, यदि तीर्थ स्थल पर स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए.

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