नई दिल्ली: केंद्र सरकार लॉटरी की बिक्री पर सेवा कर नहीं लगा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि वह लॉटरी पर सेवा कर लगाने का हकदार है. न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 'लॉटरी वितरकों द्वारा कोई सेवा प्रदान नहीं की गई है, इसलिए सेवा कर नहीं लगाया जा सकता.'
सिक्किम हाईकोर्ट का आदेश बरकरारः सर्वोच्च न्यायालय ने सिक्किम उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसने फैसला सुनाया कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुआ की श्रेणी में आती है, जो राज्य सूची की प्रविष्टि 62 है और केवल राज्य सरकार ही कर लगा सकती है. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में सिक्किम उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए लिए गए निर्णय से अलग कोई निर्णय नहीं लेगी. उच्च न्यायालय ने माना था कि लॉटरी वितरकों की गतिविधियां सेवा नहीं मानी जाएंगी.
जुआ कर का भुगतान करना होगाः सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि लॉटरी वितरक और राज्य सरकार के बीच संबंध 'मुख्य-प्रधान' का था, न कि 'प्रधान-एजेंसी' का. इसने कहा कि चूंकि संबंध में कोई एजेंसी नहीं है, इसलिए लॉटरी वितरक सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं. लेकिन यह स्पष्ट किया कि उन्हें जुआ कर का भुगतान करना होगा, जो राज्य द्वारा सूची II की प्रविष्टि 62 के तहत लगाया गया था. विस्तृत निर्णय बाद में अपलोड किया जाएगा.
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