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इस सीट से अटल बिहारी वाजपेयी पहला चुनाव जीतकर पहुंचे थे संसद, जानिए अब क्या हैं समीकरण - Lok Sabha Election 2024

श्रावस्ती संसदीय सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अतीक अहमद चुनाव लड़ चुके हैं. जानिए इस बार यहां क्या है समीकरण?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 9:00 PM IST

लखनऊ :प्रदेश की श्रावस्ती संसदीय सीट, जिसे 2008 से पहले बलरामपुर लोकसभा सीट के नाम से भी जानते थे. लेकिन इस चुनाव में भाजपा और सपा (गठबंधन) का सीधा मुकाबला होने के कयास लगाए जा रहे हैं. इस सीट पर 1957 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार जीतकर संसद पहुंचे थे. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने साकेत मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने राम शिरोमणि वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. राम शिरोमणि वर्मा 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.

जानिए कौन हैं भाजपा उम्मीदवार साकेत मिश्राः इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे साकेत मिश्रा के पिता नृपेंद्र मिश्रा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे हैं. नृपेंद्र मिश्रा 2005 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2020 में तब चर्चा में आए थे, जब उन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. साकेत मिश्रा की शिक्षा भारत और अमेरिका में हुई है. उन्होंने आईआईएम कलकत्ता से एमबीए किया. साथ ही उन्होंने फाइनेंस और मार्केटिंग में भी पढ़ाई की है. साकेत के पिता देवरिया जिले के निवासी हैं, जबकि उनकी मां श्रावस्ती जिले की मूल निवासी हैं. उन्हें 1994 में भारतीय पुलिस सेवा (यूपी कैडर) के लिए भी चुना गया था. हालांकि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बैंकिंग सेक्टर से की और उन्होंने देश-विदेश के कई बैंकों में काम भी किया. 2019 में में साकेत मिश्रा को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल विकास बोर्ड का सलाहकार नियुक्त किया गया. इसके बाद अप्रैल 2023 में उन्हें विधान परिषद सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और अब वह लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में हैं. वहीं सपा प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा अकबरपुर के मूल निवासी और मूल रूप से व्यवसायी हैं. उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा (तब सपा-बसपा गठबंधन हुआ था) के टिकट पर लड़ा और जीता था.


2019 में बसपा उम्मीदवार ने दर्ज की थी जीतःसंसदीय सीट के इतिहास की बात करें, तो 2008 के परिसीमन से पहले इस सीट को बलरामपुर संसदीय सीट के नाम से जाना जाता था. इस सीट के लिए पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ था. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ से अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार चुनकर संसद पहुंचे थे. 1962 के चुनाव में कांग्रेस नेता सुभद्रा जोशी को जीत हासिल हुई थी. वहीं 1967 के लोकसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. 1971 में कांग्रेस नेता चंद्रभाल मणि तिवारी और 1977 में जनता पार्टी से नानाजी देशमुख जीत कर संसद पहुंचे. 1980 और 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभाल मणि त्रिपाठी और महंत दीप नारायण वन लोकसभा के लिए चुने गए. 1989 में स्वतंत्र उम्मीदवार फसी उर्रहमान मुन्नन खान सांसद बने. 1991 और 1996 में भाजपा के टिकट पर सत्यदेव सिंह सांसद बने, जबकि 1998 और 1999 में सपा प्रत्याशी रिजवान जहीर को जीत हासिल हुई. 2004 में भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने चुनाव जीता. 2009 में सीट का नाम बदल कर श्रावस्ती हो गया. इस वर्ष कांग्रेस नेता विनय कुमार पांडेय लोकसभा सदस्य बने. 2014 में भाजपा के दद्दन मिश्र और 2019 में बसपा के राम शिरोमणि वर्मा लोकसभा पहुंचे.

2014 में भाजपा प्रत्याशी ने अतीक अहमद को दी थी शिकस्तः2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्र ने अपने निकटतम प्रत्याशी सपा नेता अतीक अहमद को 85,913 मतों से पराजित किया था. इस चुनाव में दद्दन मिश्र को 3,45,964 वोट मिले थे, जबकि अतीक अहमद को 2.60,051 और बसपा के लालजी वर्मा को 1,94,890 मत प्राप्त हुए थे. तब कांग्रेस नेता विनय कुमार पाठक को सिर्फ 20,006 मत मिले थे. 2019 के चुनावों में सपा और बसपा ने गठबंधन कर भाजपा को चुनौती दी, जिसका लाभ भी गठबंधन को मिला. इस चुनाव में बसपा नेता राम शिरोमणि वर्मा ने 5,320 वोटों से जीत हासिल की थी. उन्हें 4,41,771 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के दद्दन मिश्र को 4,36,451 और कांग्रेस के धीरेंद्र प्रताप सिंह को 58,042 मत हासिल हो पाए थे. इस संसदीय सीट में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें एक पर सपा का कब्जा है, तो तीन पर भाजपा जीतकर आई है. एक सीट अभी रिक्त है.


सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाताःइस लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है, जो लगभग 28 फीसद है. वहीं कुर्मी मतदाताओं की तादाद भी करीब 22 फीसद मानी जाती है. करीब 19 फीसद मुस्लिम मतदाता इस संसदीय सीट पर अहम भूमिका निभाते हैं, जबकि यादव करीब 14 और दलित आबादी करीब दस फीसद है. वहीं इस संसदीय क्षेत्र में क्षत्रिय मतदाता भी सात प्रतिशत हैं. नेपाल की तराई से सटा यह जिला बहुत ही शांत और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. यहां स्थित सोहेलवा वन्यजीव अभयारण्य के रूप में एक विशाल वन पर्यटकों को खूब आकर्षित करता हैं. वहीं यहां भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ी अनेक विरासतें, तपोस्थली और अंगुलिमाल की गुफा भी दर्शनीय हैं. यहां हर साल देश-विदेश से अनेक पर्यटक आते हैं. ऐसे में विरासतों और धरोहरों से भरे इस संसदीय क्षेत्र का चुनाव रोचक होने की उम्मीद है.

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