रांची: झारखंड के चुनावी समर में इस बार कई महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें प्रमुख राजनीतिक दलों से चुनाव में उतरीं महिला उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में भी दिख रही हैं. लेकिन इन प्रत्याशियों के राजनीतिक सफर को देखें तो ज्यादातर महिला उम्मीदवारों का जुड़ाव किसी न किसी बड़ी राजनीतिक परिवार या विरासत से रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 न सिर्फ उनकी राजनीति को आगे बढ़ाने का एक मौका दे रहा है. बल्कि किसी को अपने पिता तो किसी को अपने पति की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने की भी यह लड़ाई है. अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं इन महिलाओं के चुनावी नतीजे तय करेंगे कि कौन कौन महिला राजनीतिज्ञ झारखंड और देश की राजनीति में आगे बढ़ पाती हैं और किन्हें संघर्ष की राह पर आगे बढ़ना होगा.
एक नजर झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरी महिला उम्मीदवारों की राजनीति विरासत पर
गीता कोड़ा- सिंहभूम लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार वर्तमान सांसद गीता कोड़ा मैदान में हैं. 2019 में कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनीं गीता कोड़ा की पहचान उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा से है. भ्रष्टाचार के मामले में जब मधु कोड़ा फंसते चले गए तब उनकी राजनीतिक विरासत को गीता कोड़ा ने बखूबी आगे बढ़ाया. वो विधायक और सांसद बन कर राजनीति में हमेशा सक्रिय रहीं.
सीता सोरेन- दुमका लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में इस बार सीता सोरेन चुनाव लड़ रही हैं. झारखंड के सबसे बड़े राजनीति घराने शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन का पदार्पण राजनीति में तब हुआ जब उनके पति दुर्गा सोरेन की आकस्मिक निधन 2009 में हो गया. अपने पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सीता सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होकर लोकसभा उम्मीदवार बनीं हैं.
अनुपमा सिंह- धनबाद लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस ने पहली बार अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह की पत्नी और राज्य के कद्दावर मजदूर नेता और मंत्री रहे राजेंद्र सिंह की बहू के रूप में अनुपमा सिंह की पहचान है. अब उनके ऊपर अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी और जवाबदेही है.
जोबा मांझी- सिंहभूम लोकसभा सीट से इस बार इंडिया गठबंधन से झामुमो ने जोबा मांझी को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि जोबा मांझी की गिनती आज की तारीख में धुरंधर राजनीतिज्ञ में होती है. पांच बार विधायक और कई बार बिहार और झारखंड में मंत्री रह चुकी जोबा मांझी का भी राजनीति में प्रवेश तब हुआ था जब उनके पति देवेंद्र मांझी की हत्या कर दी गयी थी. अब लोकसभा उम्मीदवार के रूप में पति की राजनीतिक विरासत को एक कदम और आगे बढ़ाने की लड़ाई जोबा मांझी लड़ रही हैं.
यशश्विनी सहाय- रांची लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार यशस्विनी सहाय की भी झारखंड की राजनीति में एंट्री उनके राजनीतिक विरासत की वजह से ही हुई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय, पेशे से अधिवक्ता रही हैं और वह राजनीति से दूर रहती थीं. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें उम्मीदवार बनाया तब अपने पिता सुबोधकांत सहाय की राजनीति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके ऊपर है.
ममता भुइयां- पलामू से इस बार राजद की ओर से इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार ममता भुइयां हैं. राजनीति में पहली बार प्रवेश करने वाली ममता भुइयां की पहचान पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां से जुड़ा है. ममता भुइयां, पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां के भाई की पत्नी हैं. अब उन पर अपने परिवार की सियासी विरासत बढ़ाने और खुद को राजनीति में प्रतिष्ठित करने की चुनौती है.