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झारखंड में राजनीतिक विरासत बचाने और उसे आगे बढ़ाने की लड़ाई लड़ रहीं पत्नी और बेटियां! पढ़ें पूरी रिपोर्ट - Lok Sabha Election 2024

Political legacy of women candidates. लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड से महिला उम्मीदवार भी मैदान में हैं. लेकिन इनमें से कई ऐसी प्रत्याशी हैं जो अपने पिता या पति की सियासी विरासत को बचाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं. इस रिपोर्ट से जानिए, इन उम्मीदवारों की सियासी विरासत के बारे में.

Know political legacy of women candidates of Lok Sabha election in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 10, 2024, 9:45 PM IST

महिला उम्मीदवारों के सियासी विरासत को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेता के बयान (ETV Bharat)

रांची: झारखंड के चुनावी समर में इस बार कई महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें प्रमुख राजनीतिक दलों से चुनाव में उतरीं महिला उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में भी दिख रही हैं. लेकिन इन प्रत्याशियों के राजनीतिक सफर को देखें तो ज्यादातर महिला उम्मीदवारों का जुड़ाव किसी न किसी बड़ी राजनीतिक परिवार या विरासत से रहा है.

लोकसभा चुनाव 2024 न सिर्फ उनकी राजनीति को आगे बढ़ाने का एक मौका दे रहा है. बल्कि किसी को अपने पिता तो किसी को अपने पति की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने की भी यह लड़ाई है. अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं इन महिलाओं के चुनावी नतीजे तय करेंगे कि कौन कौन महिला राजनीतिज्ञ झारखंड और देश की राजनीति में आगे बढ़ पाती हैं और किन्हें संघर्ष की राह पर आगे बढ़ना होगा.

एक नजर झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरी महिला उम्मीदवारों की राजनीति विरासत पर

गीता कोड़ा- सिंहभूम लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार वर्तमान सांसद गीता कोड़ा मैदान में हैं. 2019 में कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनीं गीता कोड़ा की पहचान उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा से है. भ्रष्टाचार के मामले में जब मधु कोड़ा फंसते चले गए तब उनकी राजनीतिक विरासत को गीता कोड़ा ने बखूबी आगे बढ़ाया. वो विधायक और सांसद बन कर राजनीति में हमेशा सक्रिय रहीं.

गीता कोड़ा की सियासी विरासत (ETV Bharat)

सीता सोरेन- दुमका लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में इस बार सीता सोरेन चुनाव लड़ रही हैं. झारखंड के सबसे बड़े राजनीति घराने शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन का पदार्पण राजनीति में तब हुआ जब उनके पति दुर्गा सोरेन की आकस्मिक निधन 2009 में हो गया. अपने पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सीता सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होकर लोकसभा उम्मीदवार बनीं हैं.

सीता सोरेन की सियासी विरासत (ETV Bharat)

अनुपमा सिंह- धनबाद लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस ने पहली बार अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह की पत्नी और राज्य के कद्दावर मजदूर नेता और मंत्री रहे राजेंद्र सिंह की बहू के रूप में अनुपमा सिंह की पहचान है. अब उनके ऊपर अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी और जवाबदेही है.

अनुपमा सिंह की सियासी विरासत (ETV Bharat)

जोबा मांझी- सिंहभूम लोकसभा सीट से इस बार इंडिया गठबंधन से झामुमो ने जोबा मांझी को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि जोबा मांझी की गिनती आज की तारीख में धुरंधर राजनीतिज्ञ में होती है. पांच बार विधायक और कई बार बिहार और झारखंड में मंत्री रह चुकी जोबा मांझी का भी राजनीति में प्रवेश तब हुआ था जब उनके पति देवेंद्र मांझी की हत्या कर दी गयी थी. अब लोकसभा उम्मीदवार के रूप में पति की राजनीतिक विरासत को एक कदम और आगे बढ़ाने की लड़ाई जोबा मांझी लड़ रही हैं.

जोबा माझी की सियासी विरासत (ETV Bharat)

यशश्विनी सहाय- रांची लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार यशस्विनी सहाय की भी झारखंड की राजनीति में एंट्री उनके राजनीतिक विरासत की वजह से ही हुई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय, पेशे से अधिवक्ता रही हैं और वह राजनीति से दूर रहती थीं. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें उम्मीदवार बनाया तब अपने पिता सुबोधकांत सहाय की राजनीति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके ऊपर है.

यशस्विनी सहाय की सियासी विरासत (ETV Bharat)

ममता भुइयां- पलामू से इस बार राजद की ओर से इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार ममता भुइयां हैं. राजनीति में पहली बार प्रवेश करने वाली ममता भुइयां की पहचान पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां से जुड़ा है. ममता भुइयां, पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां के भाई की पत्नी हैं. अब उन पर अपने परिवार की सियासी विरासत बढ़ाने और खुद को राजनीति में प्रतिष्ठित करने की चुनौती है.

ममता भुइयां की सियासी विरासत (ETV Bharat)

अन्नपूर्णा देवी- कोडरमा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में इस बार भी केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी चुनाव मैदान में हैं. अन्नपूर्णा देवी की राजनीति में प्रवेश उनके पति और संयुक्त बिहार में मंत्री रहे रमेश प्रसाद यादव की असामयिक निधन के बाद हुआ था. वह राजनीति में न बेहद सक्रिय रही हैं बल्कि सफल भी रही हैं.

अन्नपूर्णा देवी की सियासी विरासत (ETV Bharat)

कल्पना सोरेन- लोकसभा के साथ साथ इस बार गांडेय विधानसभा उपचुनाव में कल्पना सोरेन चुनाव मैदान में हैं. जब ईडी की कार्रवाई में पति हेमंत सोरेन को जेल भेजा गया तो कल्पना सोरेन घर की दहलीज से बाहर निकलीं बल्कि गांडेय उपचुनाव में झामुमो उम्मीदवार हैं. उनके ऊपर भी संकट की इस घड़ी में परिवार और पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है.

कल्पना सोरेन की सियासी विरासत (ETV Bharat)

सभी महिला प्रत्याशी अच्छी हैं- कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2024 में चुनावी समर में उतरी महिला उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति कहते हैं कि जो भी महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं सभी के परिवार वाले समाजसेवा और राजनीति में रहे हैं. इन लोगों ने भी समाज की सेवा में सक्रियता रही है, इसमें कोई गलती नहीं है.

नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने की शुरुआत- झारखंड भाजपा

राज्य की राजनीति में अपने परिवार, पति या पिता की राजनीति विरासत को बचाने और आगे बढ़ाने की जवाबदेही उठा रही महिला उम्मीदवारों को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह कहते हैं कि राजनीति में नारी शक्ति की भागीदारी बढ़ना प्रशंसनीय हैं. उन्होंने कहा कि जब महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू हो जाएगा तो सामान्य महिलाएं भी राजनीति में दिखेंगी.

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