बेंगलुरु: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार शाम को बेंलगुरु की ऐतिहासिक ईदगाह खुद्दुस साहब में अपनी 29वीं वार्षिक आम सभा आयोजित की. इसका मुख्य विषय 'शरिया की सुरक्षा और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा' था और कार्यक्रम में राज्य भर से हजारों लोग शामिल हुए. सभा में वक्ताओं ने मौजूदा केंद्र सरकार के तहत मुस्लिम अधिकारों और संस्थानों पर लक्षित हमलों की निंदा की.
आम सभा को संबोधित करते हुए, AIMPLB पदाधिकारियों ने कहा कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन और इस्लामी शरीयत में अन्य कथित हस्तक्षेप अस्वीकार्य हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर संवैधानिक सुरक्षा उपायों को कमजोर करने और अल्पसंख्यक समुदाय को उसके अधिकारों से वंचित करने के प्रयास का आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया, "लगभग एक दशक से, मुसलमानों को विभिन्न रूपों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. व्यक्तिगत कानूनों और वक्फ संपत्तियों पर ये हमले अत्यधिक निंदनीय हैं."
पदाधिकारियों ने इस्लामी शरिया और भारतीय संविधान दोनों को संरक्षित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, उन्हें भारत के बहुलवादी लोकाचार का अभिन्न अंग बताया. एक वक्ता ने कहा कि हम डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ कानून संवैधानिक सिद्धांतों में गहराई से निहित हैं. उन्होंने विवादास्पद वक्फ विधेयक के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया जब तक कि इसे निरस्त नहीं कर दिया जाता.
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार विवादास्पद विधेयकों और नीतियों के माध्यम से गलत सूचना फैला रही है और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने इसे मस्जिदों और दरगाहों जैसी मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा करने की एक साजिश करार दिया.
बैठक में AIMPLB की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया, जो मुसलमानों को उनके धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए कथित खतरों के खिलाफ एकजुट करने में सक्षम है. बोर्ड के नेताओं ने इस्लामी कानूनों में हस्तक्षेप करने के उनके कथित प्रयासों के लिए सांप्रदायिक ताकतों की आलोचना की.
यह कार्यक्रम बेंगलुरु में AIMPLB की दो दिवसीय बैठक के मद्देनजर हुआ, जहां विवादास्पद वक्फ विधेयक सहित महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया.
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