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ऑफिस में झपकी लेने पर गंवाई नौकरी! कर्मचारी ने किया ऐसा काम, कंपनी को देने पड़ गए 40 लाख रुपये - SLEEPING AT OFFICE

एक कंपनी ने अपने कर्मचारी को नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया कि वह ऑफिस में थोड़ी देर के लिए सो गया था.

ऑफिस में झपकी लेने पर गंवाई नौकरी
ऑफिस में झपकी लेने पर गंवाई नौकरी (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 24, 2024, 10:54 PM IST

बीजिंग: एक चीनी शख्स को काम के दौरान एक घंटे की झपकी लेने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया. नौकरी से निकाले गए जियांग्शु प्रात के रहने झांग ने देर तक काम किया था. वहीं, कंपनी के इस कदम से नाराज होकर शख्स ने अपनी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया और 40.78 लाख रुपये का मुआवजा लिया.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार झांग ने चीन के जियांग्सू प्रांत में एक केमिकल कंपनी के लिए 20 साल तक काम किया. इस दौरान उसने एक पूरे विभाग का नेतृत्व किया. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में वह रात को देर तक गाड़ी चलाने के बाद अपने ऑफिस डेस्क पर सो गया था. दुर्भाग्य से ऑफिस के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे ने उसे झपकी लेते हुए कैद कर लिया.

कंपनी के नियमों का उल्लंघन
कंपनी के नियमों का उल्लंघन करने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया. दो सप्ताह बाद कंपनी के मानव संसाधन विभाग ने झांग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया कि वह काम पर सोते हुए पकड़ा गया था. एक मानव संसाधन कर्मचारी ने झांग से यह भी पूछा कि वह कितनी देर तक सोता है, जिस पर उसने जवाब दिया. लगभग एक घंटा.

कंपनी ने जल्द ही नियमों का उल्लंघन करने के लिए झांग को आधिकारिक बर्खास्तगी नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया, "झांग 2004 में कंपनी में शामिल हुए थे और उन्होंने अनिश्चितकालीन रोजगार अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन काम के दौरान सोने की आपकी हरकतें कंपनी के सहनशीलता का गंभीर उल्लंघन करती हैं."

कंपनी को कोई नुकसान नहीं
अचानक बर्खास्तगी से परेशान झांग ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया और दावा किया कि उसे उसके पद से अनुचित तरीके से बर्खास्त किया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए, अदालत ने कहा कि नियोक्ताओं को नियमों के उल्लंघन के कारण अपने अनुबंधों को समाप्त करने का अधिकार है, लेकिन इससे कंपनी को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ है.

इसके अलावा, अदालत ने फैसला किया कि 20 साल तक एक शानदार कर्मचारी के तौर पर काम करने के बाद उसे एक उल्लंघन के लिए बर्खास्त करना ठीक नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने कंपनी को झांग को मुआवजे के रूप में 350,000 युआन (40 लाख रुपये) देने का आदेश भी दिया.

यह भी पढ़ें- सीओपी29: भारत ने 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु वित्त समझौते को खारिज किया

बीजिंग: एक चीनी शख्स को काम के दौरान एक घंटे की झपकी लेने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया. नौकरी से निकाले गए जियांग्शु प्रात के रहने झांग ने देर तक काम किया था. वहीं, कंपनी के इस कदम से नाराज होकर शख्स ने अपनी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया और 40.78 लाख रुपये का मुआवजा लिया.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार झांग ने चीन के जियांग्सू प्रांत में एक केमिकल कंपनी के लिए 20 साल तक काम किया. इस दौरान उसने एक पूरे विभाग का नेतृत्व किया. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में वह रात को देर तक गाड़ी चलाने के बाद अपने ऑफिस डेस्क पर सो गया था. दुर्भाग्य से ऑफिस के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे ने उसे झपकी लेते हुए कैद कर लिया.

कंपनी के नियमों का उल्लंघन
कंपनी के नियमों का उल्लंघन करने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया. दो सप्ताह बाद कंपनी के मानव संसाधन विभाग ने झांग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया कि वह काम पर सोते हुए पकड़ा गया था. एक मानव संसाधन कर्मचारी ने झांग से यह भी पूछा कि वह कितनी देर तक सोता है, जिस पर उसने जवाब दिया. लगभग एक घंटा.

कंपनी ने जल्द ही नियमों का उल्लंघन करने के लिए झांग को आधिकारिक बर्खास्तगी नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया, "झांग 2004 में कंपनी में शामिल हुए थे और उन्होंने अनिश्चितकालीन रोजगार अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन काम के दौरान सोने की आपकी हरकतें कंपनी के सहनशीलता का गंभीर उल्लंघन करती हैं."

कंपनी को कोई नुकसान नहीं
अचानक बर्खास्तगी से परेशान झांग ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया और दावा किया कि उसे उसके पद से अनुचित तरीके से बर्खास्त किया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए, अदालत ने कहा कि नियोक्ताओं को नियमों के उल्लंघन के कारण अपने अनुबंधों को समाप्त करने का अधिकार है, लेकिन इससे कंपनी को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ है.

इसके अलावा, अदालत ने फैसला किया कि 20 साल तक एक शानदार कर्मचारी के तौर पर काम करने के बाद उसे एक उल्लंघन के लिए बर्खास्त करना ठीक नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने कंपनी को झांग को मुआवजे के रूप में 350,000 युआन (40 लाख रुपये) देने का आदेश भी दिया.

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