चंडीगढ़ :हरियाणा में बीजेपी की उम्मीदवार किरण चौधरी को निर्विरोध राज्यसभा का सांसद चुन लिया गया है. मंगलवार को किरण चौधरी को रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र दे दिया. इस दौरान हरियाणा सीएम नायब सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी मौजूद रहे.
निर्विरोध राज्यसभा सांसद बनी किरण चौधरी :आपको बता दें कि रोहतक लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस्तीफा दे दिया था जिसके चलते हरियाणा में राज्यसभा सीट खाली हुई है और फिर इस पर चुनाव हुआ. बीजेपी ने 20 अगस्त को उम्मीदवार के तौर पर किरण चौधरी के नाम का ऐलान किया था और 21 अगस्त को हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी समेत बीजेपी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में किरण चौधरी ने अपना नामांकन दाखिल किया था. हरियाणा में आंकड़ा ना होने का हवाला देकर कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों ने राज्यसभा चुनाव के लिए कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था जिसके चलते ये साफ हो गया था कि किरण चौधरी राज्यसभा निर्विरोध जाने वाली हैं. नामांकन के आखिरी दिन से रिजल्ट तय था, आज बस औपचारिक ऐलान करते हुए किरण चौधरी के राज्यसभा जाने की पुष्टि कर दी गई.
20 साल पहले राज्यसभा जाने से चूकी थी :किरण चौधरी के राज्यसभा जाने में दिलचस्प तथ्य ये है कि आज से 20 साल पहले किरण चौधरी राज्यसभा जाने से चूक गई थी. लेकिन अब किरण चौधरी की राज्यसभा जाने की इच्छा पूरी हो गई है. साल 2004 में ओमप्रकाश चौटाला की हरियाणा में सरकार थी. किरण चौधरी को तब कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट बनाया था. मतदान से 3 दिन पहले विधानसभा स्पीकर ने किरण चौधरी का सपोर्ट कर रहे 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. किरण चौधरी ने तब फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन अयोग्य घोषित विधायकों को राज्यसभा के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं मिला था और किरण चौधरी का राज्यसभा जाना अरमान बनकर रह गया था.
नाराज़ होकर कांग्रेस से दिया था इस्तीफा :किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी को लोकसभा के लिए टिकट ना देने से नाराज़ होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी जॉइन कर ली थी. तभी कहा जा रहा था कि बीजेपी उनको राज्यसभा भेजने वाली है. अब ये बात भी कही जा रही है कि बीजेपी उनकी बेटी श्रुति चौधरी को भी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़वाने के लिए टिकट देने वाली है. हालांकि अब तक इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चाओं का दौर काफी ज्यादा तेज़ है.