खंडवा।खंडवा जिला अदालत ने डीएनए रिपोर्ट पर संदेह जताते हुए फांसी की सजा से दंडित व्यक्ति को बरी कर दिया. अदालत ने पाया कि डीएनए की रिपोर्ट किसी और के द्वारा अपराध करने की ओर इशारा करती है. अन्य सक्ष्य भी मौजूदा परिस्थितियों से मैच नहीं करते. ये मामला 11 साल पुराना है. आरोपी युवक अनोखीलाल तभी से जेल में बंद है. मामले के अनुसार खालवा के अनोखीलाल पर 1 फरवरी 2013 को बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज हुआ था.
कोर्ट ने 15 दिन में सुना दिया था फैसला
खंडवा जिले के पहला पॉक्सो एक्ट का मामला होने से पुलिस ने 15 दिन में चार्जशीट दायर कर दी थी. कोर्ट ने भी करीब 15 दिन में ही सुनवाई कर अपना फैसला दे दिया था. अनोखी के अधिवक्ता वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि इस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट गए थे. हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा बरकरार रखी. फिर सुप्रीम कोर्ट गए. शीर्ष कोर्ट ने 31 दिसंबर 2019 को दोबारा ट्रायल का आदेश दिया. पाक्सो कोर्ट में फिर ट्रायल हुआ. डीएनए साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने 29 अगस्त 2022 को फिर फांसी की सजा दी.
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