शिमला: नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. मोदी कैबिनेट 3.0 में जेपी नड्डा ने बतौर कैबिनेट मंत्री ओथ ली है. जेपी नड्डा दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. हिमाचल की राजनीति से निकल जेपी नड्डा सत्ता की ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.
जेपी नड्डा का संबंध हिमाचल की धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी बिलासपुर से है. पिता एनएल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे, लिहाजा जेपी का बचपन भी वहीं गुजरा. उनका जन्म भी 2 दिसंबर 1960 को पटना में ही हुआ था. आरंभिक शिक्षा पटना में सेंट जेवियर्स स्कूल में हुई. मां कृष्णा हाउस वाइफ थीं और पूरा परिवार पटना में ही निवास करता था. जेपी नड्डा ने स्नातक तक की पढ़ाई पटना में ही की. नड्डा के जीवन में वहीं पर राजनीति का बीज पड़ा. छात्र जीवन में उन्हें खेलों का भी खूब शौक था. उन्होंने जूनियर तैराकी चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधत्व भी किया था. खेल प्रेम के कारण ही वे कई खेल संघों के अध्यक्ष रहे.
पटना के बाद हिमाचल बनी कर्मभूमि
जयप्रकाश नारायण ने भारत की राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया है. इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान जेपी आंदोलन ने कई राजनेताओं को जन्म दिया. किशोर आयु के जेपी नड्डा जेपी आंदोलन को दौरान खूब सक्रिय हुए. जेपी के संपूर्ण क्रांति अभियान में जेपी नड्डा बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे. इसी आंदोलन ने उन्हें छात्र राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वो पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव रहे. बाद में वे हिमाचल प्रदेश आए. उन्हें एबीवीपी का प्रचारक बनाकर देवभूमि में भेजा गया था. महज 22 साल की आयु में नड्डा हिमाचल में चर्चित हो गए. हिमाचल यूनिवर्सिटी से वो वकालत पढ़ने लगे और यहां पर छात्र संघ के अध्यक्ष बने. एबीवीपी से छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में वे पहले छात्र नेता थे. ये वर्ष 1983-1984 की बात है. फिर वर्ष 1986 से 1989 तक जेपी नड्डा एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे.
भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया आंदोलन, डेढ़ महीना रहे जेल में
जेपी नड्डा छात्र राजनीति से आगे बढ़कर अब सक्रिय राजनीति में आने को आतुर थे. वर्ष 1989 में केंद्र सरकार के खिलाफ उन्होंने राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा का गठन किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मोर्चे में वे अग्रणी भूमिका में थे. केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के कारण उन पर गाज गिरी और वे डेढ़ महीना जेल में भी रहे. प्रखर वक्ता और कुशल संगठकर्ता के रूप में उनकी ख्याति हो गई. पार्टी ने उन्हें युवा चेहरा बनाया. भारतीय जनता युवा मोर्चा में आते ही नड्डा का सफर गति पकडऩे लगा. नड्डा की उम्र महज 31 साल की थी जब उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्य्क्ष बनाया गया था.
1993 में चुनावी राजनीति में प्रवेश