रांची: झारखंड विधानसभा 2024 के दूसरे चरण में 38 सीटों पर मतदान होना है. इनमें संथाल परगना का भी इलाका है. संथाल को झामुमो का गढ़ माना जाता है. इस गढ़ को तोड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज से लेकर रोटी बेटी माटी तक की बात यहां दमदार तरीके से उठाई. क्या इसका फायदा उन्हें रिजल्ट में मिलेगा, जानिए इस रिपोर्ट में.
संथाल में बीजेपी पूरे दमखम के साथ उतरी है. वह इस इलाके में झामुमो के वर्चस्व को पूरी तरफ खत्म करना चाहती है. संथाल के बरहेट से ही झामुमो नेता और सीएम हेमंत सोरेन चुनाव मैदान में हैं. झामुमो यहां से 1990 के बाद से लगातार जीत रही है. हेमंत सोरेन ने भी यहां से 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी. इस इलाके में आदिवासी और मुसलमानों की अच्छी खासी आबादी है. माना जाता है कि ये दोनों समाज हेमंत सोरेन को समर्थन करते हैं. माना जाता है कि यही गठजोड़ इस विधानसभा सीट को झामुमो के किले में बदल देती है.
संथाल परगना क्षेत्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने 9 सीटें जीती थीं, इसके साथ इनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी यहां चार सीटें जीती थी. यानी 18 में से 13 सीटें झामुमो और उसकी सहयोगी पार्टी के पास थी. इस जीत के साथ ही झामुमो झारखंड में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. 2019 के चुनावों में बीजेपी संथाल में सिर्फ 4 सीटें ही जीत पाई थी. बीजेपी का मानना है कि अगर झारखंड की सत्ता में आना है तो संथाल में झामुमो के गढ़ तो तोड़ना होगा.
इन सीटों पर रहेगी नजर
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जहां हेमंत सोरेन के खिलाफ गमालियेल हेंब्रम को उतारा है. वहीं बोरियो सीट पर कभी झामुमो के कद्दावर नेता रहे लोबिन हेंब्रम को मैदान में उतारा है. इसके अलावा जामताड़ा में सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं जो कांग्रेस के इरफान अंसारी के खिलाफ हैं. वहीं दुमका में हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन के खिलाफ पूर्व सांसद सुनील सोरेन बीजेपी को जीत दिलाने के लिए मैदान में उतरे हैं.
संथाल के 18 विधानसभा सीट पर बीजेपी की नजर