जबलपुर.हाईकोर्ट में तलाक के बाद दहेज प्रताड़ना के तहत एफआईआर दर्ज करवाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि दोनों पक्ष मुस्लिम वर्ग के नहीं हैं. इसलिए कानूनी दृष्टि से आपसी समझौते और बिना कानूनी प्रक्रिया के लिया गया तलाक मान्य नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि नोटरी ने आपसी तलाक के समझौता पत्र को कैसे नोटिराइज कर दिया, यह भी गंभीर चिंता का विषय है.
क्या है पूरा मामला?
वडोदरा निवासी रविंद्र प्रताप, उसके पिता गोपाल सिंह व मां कोमल सिंह की ओर से दायर याचिका में अनावेदिका राकेश सिसोदिया की द्वारा लगाए गए दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज किए जाने की अपील की गई थी. याचिका में कहा गया था कि रविंद्र का उसकी पत्नी से आपसी समझौते के तहत तलाक हो गया था. तलाक के बाद अनावेदिका ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. याचिका के साथ आपसी समझौते के तहत किए गए तलाक के नोटिराइज दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे. दलील दी गई कि अनावेदिका पहले से शादीशुदा थी. याचिकाकर्ता की ओर से वैदिक विवाह एव संस्कार समिति का सर्टिफिकेट भी प्रस्तुत किया गया था.