ग्वालियर: महिला के यौन उत्पीड़न के आरोपी तहसीलदार शत्रुघ्न चौहान को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. इससे पहले तहसीलदार की जिला न्यायालय में याचिका खारिज हुई थी. इसके बाद हाई कोर्ट ने भी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा "जो व्यक्ति कई महिलाओं से संपर्क रखता है और उसके साथ पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड जुड़ा है. ऐसे व्यक्ति को जमानत देना फिलहाल स्वीकार्य नहीं है."
महिला का 16 साल से शारीरिक शोषण
उल्लेखनीय है कि एक महीने पहले पीड़िता ने महिला थाने में तहसीलदार शत्रुघ्न चौहान के खिलाफ लंबे अरसे तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. महिला का आरोप है "वह 2008 से ही तहसीलदार शत्रुघ्न चौहान से संपर्क में है. इस विधवा महिला से शादी का वादा कर करीब 16 साल तक तहसीलदार शत्रुघ्न चौहान ने यौन शोषण किया. 2014 में उसने शत्रुघ्न के बेटे को भी जन्म भी दिया." महिला का कहना है "तहसीलदार चौहान हर पोस्टिंग वाली जगह पर उसे अपने साथ रखता था."
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तहसीलदार ने अपने दोस्त से कराया शोषण
महिला ने आरोप लगाया है "इस दौरान तहसीलदार ने अपने दोस्त से भी उसका शारीरिक शोषण करवाया." बताया जाता है कि तहसीलदार चौहान की तीन पत्नियां पहले से ही हैं. इसकी शिकायत महिला ने कलेक्टर से भी की थी. कलेक्टर ने तहसीलदार को भितरवार से हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया था. महिला का कहना है "उसे मुकदमा दर्ज कराने के बाद से ही लगातार धमकियां मिल रही हैं." पीड़िता के अधिवक्ता अवधेश तोमर ने हाई कोर्ट में आरोपी की जमानत याचिका पर कड़ा विरोध किया.