भोपाल : आजीविका मिशन में अवैध नियुक्तियों के आरोपों में घिरे मध्यप्रदेश के पूर्व आईएफएस अधिकारी और राज्य आजीविका मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कोर्ट के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है. आरोप है कि बेलवाल ने पद पर रहते स्कूल यूनिफॉर्म की सिलाई और कम्युनिटी बेस्ड माइक्रो बीमा योजना और ब्लॉक स्तर तक मशीनों की खरीदी में जमकर हेराफेरी की. इस मामले में आईएएस अधिकारी नेता मारव्या ने अवैध नियुक्तियों के मामले में जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी.
आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या ने की थी धांधली की जांच
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या ने मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की एडीशनल सीईओ रहने के दौरान बेलवाल के खिलाफ फर्जी नियुक्ति के मामले में जांच की थी. उन्होंने इसकी जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास को जून 2022 में सौंपी थी. जांच में सामने आया था कि बेलवाल द्वारा प्रतिनियुक्ति के समय वर्ष 2015 से 2023 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते हुये राज्य परियोजना प्रबंधक के पदों पर सलाहकारों की अवैध नियुक्तियां की गईं. उनके द्वारा राज्य शासन के आदेशों को अनदेखा करते हुए इससे जुड़ी नस्तियों से छेड़छाड़ करते हुए विभागीय मंत्री की आपत्तियों को न मानते हुए नियुक्तियां की.
मनमाने तरीके से कर डाली नियुक्तियां
जांच में सामने आया कि जिन नियमों के आधार पर स्वीकृत पदों पर नियुक्तियां दी गईं, उसके नियम उस समय थे ही नहीं. आरोप है कि बेलवाल ने पद का दुरुपयोग कर बिना अर्हता के सुषमा रानी शुक्ला और उनके परिवार के संदस्य देवेन्द्र मिश्रा, अंजू शुक्ला, मुकेश गौतम, ओमकार शुक्ला और आकांक्षा पाण्डे की नियुक्तयां की. ये भी आरोप है कि बेलवाल ने अवैध तरीके से बिना शासन की अनुमति लिए कम्युनिटी बेस्ड माईको इंश्योरेश बीमा योजना के तहत बीमा कराने के नाम पर 81,647 महिलाओं से प्रति महिला 300 रूपए लिए और बिना बीमा पॉलिसी का लाभ लिए 1.73 करोड़ का गबन किया.
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कोर्ट के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की
इस मामले को लेकर भोपाल के राजेश कुमार मिश्रा ने पहले ईओडब्ल्यू और फिर भोपाल कोर्ट में शिकायत की थी. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी और सीजेएम भोपाल के निर्देश पर अब ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. रिटायर्ड आईएफएस ललित बेलवाल पूर्व मुख्य सचिव के चहेते अधिकारी रहे हैं. आईएफएस से रिटायर्ड होने के बाद उन्हें प्रतिनियुक्ति पर राज्य रोजगार गारंटी परिषद में पदस्थ किया गया था. हालांकि 2023 में नियुक्तियों में फर्जीवाड़े को उठे विवाद के बाद बेलवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.