लखनऊ : निसंतान दंपत्तियों को अपने आंगन में किलकारियों को सुनने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) ने जिस डोनर कंपनी से करार किया था, उसका भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में पंजीकरण नहीं है. इससे काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. केजीएमयू अब योजना को धरातल पर उतारने के लिए नए सिरे से कंपनी की तलाश में है. प्रदेश के दूसरे जिले से भी दंपत्ति संतान सुख के लिए केजीएमयू में आईवीएफ कराने पहुंचते हैं. ऐसे लोगों को निराश होकर लौट जाना पड़ रहा है.
शनिवार को अंबेडकर नगर की रहने वाली संतोष कुमारी आईवीएफ के लिए विभाग पहुंचीं. उन्हें जानकारी मिली थी इस समय आईवीएफ की प्रक्रिया नहीं चल रही है. उनकी शादी के 11 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी संतान नहीं है. डॉक्टर के मुताबिक वह साधारण तौर पर गर्भधारण नहीं कर सकती हैं. इसके लिए आईवीएफ कराना होगा. पति किसी प्राइवेट केंद्र में मजदूरी करते हैं. आईवीएफ कराने के लिए पैसे नहीं हैं. अंबेडकर नगर में आईवीएफ की सुविधा नहीं है. इससे केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल आना पड़ा. महिला ने रोते हुई अपनी पीड़ा बताई. महिला ने बताया कि डॉक्टर ने बताया है कि आईवीएफ की प्रक्रिया अभी रोक दी गई है. कुछ समय बाद शुरू होगी.
निजी सेंटरों में काफी महंगी है प्रक्रिया :निसंतान दंपत्तियों के लिए आईवीएफ प्रक्रिया काफी कारगर साबित हो रही है. शहर में निजी सेंटरों की भरमार हो गई है, लेकिन इन सेंटरों पर आईवीएफ प्रोसेज के लिए तीन से चार लाख रुपये तक का खर्च आता है. यह आम दंपति के लिए आसान नहीं है. सबसे बड़ी बात प्रक्रिया फेल होने पर दोबारा इतनी ही रकम खर्च करनी पड़ती है. ऐसे में क्वीनमेरी में शुरू हो रही आईवीएफ यूनिट आर्थिक तौर पर कमजोर दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है. यहां निजी सेंटरों की अपेक्षा 70 फीसदी कम खर्च पर प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. इसको लेकर बीते दिसंबर महीने में विभागाध्यक्ष प्रो. एसपी जैसवार ने क्वीनमेरी में आईवीएफ सेंटर शुरू होने का ऐलान किया था. इसके लिए पांच महिलाओं ने पंजीकरण भी करवा लिया था. लेकिन अब उन्हें इंतजार करना पड़ेगा.