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केजीएमयू में नहीं हो रही आईवीएफ प्रक्रिया, इस वजह से आ रही दिक्कत, नए सिरे से कंपनी की तलाश

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) में इन दिन आईवीएफ (KGMU QueenMary IVF) की प्रक्रिया ठप है. इससे संतानहीन दंपत्तियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2024, 6:55 AM IST

केजीएमयू में नहीं हो रहा आईवीएफ.

लखनऊ : निसंतान दंपत्तियों को अपने आंगन में किलकारियों को सुनने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) ने जिस डोनर कंपनी से करार किया था, उसका भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में पंजीकरण नहीं है. इससे काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. केजीएमयू अब योजना को धरातल पर उतारने के लिए नए सिरे से कंपनी की तलाश में है. प्रदेश के दूसरे जिले से भी दंपत्ति संतान सुख के लिए केजीएमयू में आईवीएफ कराने पहुंचते हैं. ऐसे लोगों को निराश होकर लौट जाना पड़ रहा है.

शनिवार को अंबेडकर नगर की रहने वाली संतोष कुमारी आईवीएफ के लिए विभाग पहुंचीं. उन्हें जानकारी मिली थी इस समय आईवीएफ की प्रक्रिया नहीं चल रही है. उनकी शादी के 11 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी संतान नहीं है. डॉक्टर के मुताबिक वह साधारण तौर पर गर्भधारण नहीं कर सकती हैं. इसके लिए आईवीएफ कराना होगा. पति किसी प्राइवेट केंद्र में मजदूरी करते हैं. आईवीएफ कराने के लिए पैसे नहीं हैं. अंबेडकर नगर में आईवीएफ की सुविधा नहीं है. इससे केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल आना पड़ा. महिला ने रोते हुई अपनी पीड़ा बताई. महिला ने बताया कि डॉक्टर ने बताया है कि आईवीएफ की प्रक्रिया अभी रोक दी गई है. कुछ समय बाद शुरू होगी.

केजीएमयू

निजी सेंटरों में काफी महंगी है प्रक्रिया :निसंतान दंपत्तियों के लिए आईवीएफ प्रक्रिया काफी कारगर साबित हो रही है. शहर में निजी सेंटरों की भरमार हो गई है, लेकिन इन सेंटरों पर आईवीएफ प्रोसेज के लिए तीन से चार लाख रुपये तक का खर्च आता है. यह आम दंपति के लिए आसान नहीं है. सबसे बड़ी बात प्रक्रिया फेल होने पर दोबारा इतनी ही रकम खर्च करनी पड़ती है. ऐसे में क्वीनमेरी में शुरू हो रही आईवीएफ यूनिट आर्थिक तौर पर कमजोर दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है. यहां निजी सेंटरों की अपेक्षा 70 फीसदी कम खर्च पर प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. इसको लेकर बीते दिसंबर महीने में विभागाध्यक्ष प्रो. एसपी जैसवार ने क्वीनमेरी में आईवीएफ सेंटर शुरू होने का ऐलान किया था. इसके लिए पांच महिलाओं ने पंजीकरण भी करवा लिया था. लेकिन अब उन्हें इंतजार करना पड़ेगा.

विभागाध्यक्ष बोले-अब कोई दिक्कत नहीं, महिलाएं बोलीं- नहीं हो रही प्रक्रिया :क्वीन मैरी महिला अस्पताल की विभागाध्यक्ष प्रो. एसपी जैसवार ने कहा कि पिछले एक महीने पहले यह दिक्कतें आई थी लेकिन अब ऐसी कोई दिक्कत नहीं है. आईवीएफ विभाग में हो रहा है. विभाग का बचाव करते हुए उन्होंने यह तक कह दिया कि महिलाओं का पंजीकरण भी हो रहा है. जबकि कई महिलाओं ने ईटीवी भारत ने बातचीत में साफ तौर पर बताया कि आईवीएफ की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पा रही है. यह लंबी प्रक्रिया होती है. कई बार विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं. बार-बार विभाग आना पड़ता है. जिस कंपनी से विभाग अनुबंध था वह कंपनी जा चुकी है. इससे आईवीएफ की प्रक्रिया आधे पर ही रुक गई है.

संतानहीन दंपत्तियों को काफी परेशानी हो रही है.



नियमों में बदलाव से आई दिक्कत :क्वीनमेरी अस्पताल की एमएस प्रो. अंजू अग्रवाल ने बताया कि जिस डोनर कंपनी के साथ अनुबंध किया गया था, वह आईसीएमआर के द्वारा प्रमाणित नहीं है. इसके साथ ही सरोगेसी के नियमों में बदलाव किया गया है कि एक डोनर के सीमेन से केवल एक ही संतान हो सकेगी. पहले एक डोनर सीमेन से 15 जोड़ों का आईवीएफ प्रोसीजर किया जाता था. इसलिए अब नए नियम से अनुबंध किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अब तक पांच महिलाओं को पंजीकृत कर उनका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया है, लेकिन डोनर के लिए उन्हें अभी इंतजार करना होगा.

नए नियम से बढ़ जाएगा खर्च :जानकारों का कहना है कि अभी तक चल रहे नियमों से एक डोनर के सीमेन से 15 महिलाओं में प्रोसीजर किया जा सकता था. नियमों में बदलाव के बाद अब सिर्फ एक ही महिला को संतान हो सकेगी. लिहाजा अब यह काफी महंगा हो जाएगा.

क्या है आईवीएफ :यह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में विफल दंपतियों के लिए गर्भधारण करने का माध्यम है. आईवीएफ प्रोसीजर में महिला के शरीर में होने वाली निषेचन प्रक्रिया को बाहर लैब में किया जाता है. लैब में बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है.

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