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जल पुरुष राजेंद्र सिंह बोले-यमुना पर बांध बनाना नदी की हत्या करना, दिल्ली में 2 अक्टूबर को करेंगे 'पानी पंचायत' - Waterman Rajendra Singh - WATERMAN RAJENDRA SINGH

ईटीवी भारत ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष (WATERMAN RAJENDRA SINGH) के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने खास बातचीत की.

जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह
जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 10:03 PM IST

Updated : Jul 6, 2024, 11:39 AM IST

जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से की बातचीत (वीडियो क्रेडिट : ETV bharat)

आगरा : रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह जनपद में पानी पंचायत कर रहे हैं. जल संरक्षण और यमुना नदी को पुर्नजीवित करने के लिए दो अक्टूबर को राजेंद्र सिंह दिल्ली में राष्ट्रीय पानी पंचायत करेंगे. शुक्रवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि यमुना पर बांध बनाना नदी की हत्या करना है. उन्होंने कहा कि देश और दुनिया को जल संकट से बचाना है तो अभी से प्रयास करने होंगे.

वर्षा जल संरक्षण का करें काम :जलपुरुष राजेंद्र सिंह का कहना है कि, देश में लोग वर्षा के जल का सही तरह से उपयोग करें. आगरा में लोग वर्षा जल का संरक्षण का काम करें. अनुशासित होकर वर्षा जल का उपयोग करना शुरू करें. वर्षा का शुद्ध जल, गंदे जल में ना मिले. गंदा जल और शुद्ध जल दोनों अलग-अलग रहें. यमुना नदी अविरल निर्मल बनकर बहती रहे. यमुना पुर्नजीवित होगी तो आगरा की तरक्की होगी. यमुना पर बांध बनाने की बात होगी तो यमुना नदी या किसी भी नदी पर बांध बनाना उसकी हत्या है. हम यमुना नदी की हत्या नहीं करना चाहते हैं. यमुना नदी को पुर्नजीवित करना चाहते हैं. उसे सदानीरा बनाकर बहाना चाहते हैं. इसके लिए देश में जल साक्षरता की शुरुआत की गई है. आगरा में बच्चों को जल संकट, जल संरक्षण, वर्षा जल संचय के बारे में जागरुक किया जाएगा.

दो अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रीय पानी पंचायत : जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने बताया कि नदियों के किनारे के शहरों, राज्यों में 'पानी पंचायत' हो रही है. जिसमें आने वाले बच्चे, युवा, महिला, पुरुषों को जल संकट और जल संरक्षण के बारे में समझा रहे हैं. जल साक्षरता से ही जल संरक्षण होगा. पानी की पंचायत अभी प्रदेशों में होगी. इसके बाद दो अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रीय पानी पंचायत करेंगे. शहर और प्रदेशों में होने वाली पानी पंचायत में जुडे़ लोग ही राष्ट्रीय पानी पंचायत में शामिल होंगे. जो दिल्ली में सरकार को ये कहना चाहेंगे कि, यमुना और गंगा को केवल मां कहने से काम नहीं चलेगा. ये हमारे जीवन की जीविका है. ये हमारे जीवन को आनंद देने वाले प्रवाह हैं. इसलिए, इन नदियों को शुद्ध और सदानीरा करके बहाना हमारी सरकार और समाज का साझा दायित्व है. समाज अपने दायित्व को समझ रहा है. इसलिए, दिल्ली में पहुंचेगा. सरकार को भी समझाना है.

जल संरक्षण को यह करें उपाय
• स्कूलों व कालेजों में छात्रों के लिए जल संरक्षण की लिटरेसी ड्राइव चलाई जाएं.
• स्कूलों और कॉलेजों में पानी पंचायत का आयोजन किया जाए. जिससे छात्र जल स्रोतों का महत्व समझेंगे.
• जलवायु परिवर्तन से बादल बिना वर्षा किए लौट जाते हैं. इसलिए, नदियों के किनारे पर सघन हरियाली की जाए.
• भूगर्भ जल दोहन व भूजल रिचार्ज में संतुलन बनाए जाने की जरूरत है. इस पर सभी मिलकर काम करें.
• देशभर में जो भी नदियां विलुप्त हो रही हैं. उन्हें पुनर्जीवित करने की कार्य योजना बनाकर काम किया जाए.


'सरकारें नहीं समझ रहीं' :जल पुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं कि सरकारें नहीं समझ रही हैं. जो भी सरकारें नदियों के पुर्नजीवन पर पैसा खर्च कर रही हैं, वे नदियों को नाला बना रही हैं. नदियों की बीमारी हृदय रोग की है, जबकि इलाज करने की जिम्मेदारी दांतों के डॉक्टर या ब्यूटी पॉर्लर चलाने वाले कर रहे हैं तो नदी ठीक कैसे होगी. उन्होंने कहा कि इसलिए पानी पंचायत के माध्यम से सरकार को दिल्ली जाकर बताना चाहते हैं कि नदी के प्रवाह में बाधक बांध हटाकर उसको अविरल निर्मल बनाओ. जब ऐसा होगा तो नदियां सदानीरा होकर बहेंगी.



वर्षा जल का संचय करके किया जाता था इस्तेमाल :जलपुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं कि आगरा मुगलों की राजधानी रहा. आगरा से दूर फतेहपुर सीकरी भी अकबर ने राजधानी बनाई थी. जबकि, फतेहपुर सीकरी में बारिश कम होती थी. ऐसे में दस हजार सैनिक और जनता के लिए वर्षा जल का संचय करके उसे पूरे साल इस्तेमाल किया जाता था. ये पानी का प्रबंधन वर्षा जल के रक्षण और संरक्षण से किया गया था. इसके साथ ही उस जल का अनुशासित होकर उपयोग करना जब ये दोनों ही चीजें समाज में होंगी तो समाज पानी दार बना रहेगा. जब ये दोनों चीजें समाज से मिट जाएंगी तो समाज बेपानी होगा. पहले उसकी आंखों का पानी सूखेगा. फिर धरती का पानी सूखेगा. फिर धरती के नीचे का पानी सूखेगा. अभी हम पानी सुखाने में लगे हैं.



विकराल हालात होंगे पैदा :जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने बताया कि जल संकट से विकराल हालात पैदा होंगे. वैसे तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वो नदी और उसके पर्यावरण को शुद्ध रखे. नदी वैसे राज्य या समाज की नहीं बल्कि, सबकी साझी हैं, लेकिन राज्य और समाज लालची होकर नदियों को प्रदूषित करने लगे हैं. ऐसे में अब वैज्ञानिकों और संतों को दंड धारण करके सुधार के लिए खड़ा हो जाना चाहिए. सभी को मिलकर साझा प्रयास करने होंगे. तभी यमुना अपने पुराने कल कल करते वैभव में लौटेगी.


हथिनी कुंड पर सत्याग्रह करें आगरा के लोग :जलपुरुष राजेंद्र ने कहा कि मैं बांध का विरोधी नहीं हूं. मैंने भी राजस्थान और अन्य राज्यों में नदियों पर बांध बनाए हैं, लेकिन, वे जल संरक्षण और नदी में जल प्रवाह बढ़ाने के लिए बनाए हैं. यमुना नदी पर हरियाणा में बना हथिनी कुंड हो या अन्य बांध सभी यमुना नदी के हत्यारे हैं. आगरा के लोगों को यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए हथिनी कुंड पर जाकर सत्याग्रह करना होगा. क्योंकि, आज आगरा में यमुना में जल नहीं नालों व सीवर का पानी बह रहा है, जो प्रदूषित है. इस यमुना जल में स्नान की बात दूर इससे याचमन करना भी सेहत के लिए ठीक नहीं है. जलपुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं कि, सरकार की नदियों को जोड़ने की योजना है, लेकिन, ये सही नहीं है. नदियों को आपस में जोड़े जाने से सूखे और बाढ़ का संकट दूर होने की सरकार की बात गलत है. यह संभव नहीं है. नदियों को जोड़ेने से बाढ़ और सूखे की समस्या और बढ़ेगी.

यमुना पर बांध से दूर नहीं होगी समस्या :जलपुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि, आगरा का भविष्य ताजमहल से अधिक यमुना से जुड़ा हुआ है. इसलिए, यमुना को लेकर सभी लोग प्रयास करें. जनता की मांग है कि, आगरा में भी बांध बने, लेकिन ये जल संकट का समाधान नहीं है. मेरा मानना है कि, हमें धरती के ऊपर बहने वाली नदियों को जोड़ने के बजाय भूगर्भ जल रिचार्ज के प्रयास करने होंगे. भूगर्भ जल रिचार्ज के लिए यमुना को पुनर्जीवित करना होगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नदी में डीसिल्टिंग की जाए. उसमें गिरने वाले गंदे नालों का सीवर सीधा नहीं डाला जाए.


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Last Updated : Jul 6, 2024, 11:39 AM IST

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