पटना: राजधानी पटना से सटे पुनपुन में पौष महिने का मिनी पितृ पक्ष मेला सोमवार से शुरू हो गया है. 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक के लिए इस मेले का आयोजन किया गया है. मेले का उद्घाटन फुलवारी विधायक गोपाल रविदास ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. पुनपुन में प्रत्येक वर्ष दो बार पितृपक्ष मेला का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है.
पिंडदान का प्रथम द्वार है पुनपुन: विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि पौष महीने के पितृ पक्ष को मिनी पितृपक्ष कहा जाता है, जो 14 जनवरी तक चलता है. यहां देश-विदेश से लोग आकर अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं. वहीं पुनपुन का कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है. कहा जाता है कि भगवान राम ने माता जानकी और भाई लक्षमण के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सबसे पहले पुनपुन नदी के घाट पर पिंड का तर्पण किया था. जिस वजह से इसे पिंडदान का प्रथम द्वार कहा जाता है.
"पुनपुन के पावन धरती पर एक महीने का खरमास में लगाया आयोजन होता है, जहां पर हजारों की संख्या और विदेशी पिंडदान करने आते हैं. जिला प्रशासन द्वारा यह कार्यक्रम किया जाता है. सभी पिंडदानीयों को सभी सुविधाएं मिलेगी."- गोपाल रविदास, विधायक, फुलवारी
कितने दिन का होता है पिंडदान?: ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए पर्यटन विभाग ने इसे अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला की मान्यता दी है. हर साल जिला प्रशासन द्वारा यहां पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु अपने पितरों का पिंडदान करने आते हैं. पंडा समिति के सचिव राकेश पंडित ने बताया कि इस मिनी पितृ पक्ष मेले में अधिकतर पिंडदानी एक या तीन दिन वाला पिंडदान का कर्मकांड करते हैं.