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'वन नेशन, वन इलेक्शन बिल सर्वसम्मति से ही पास किया जाएगा', भाजपा का विपक्ष को जवाब - ONE NATION ONE ELECTION BILL

लोकसभा में कांग्रेस, टीएमसी समेत कुल 15 दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक का विरोध किया. कुल 32 दलों ने विधेयक का समर्थन किया.

One Nation, One Election Bill will be passed unanimously BJP on Congress
लोकसभा (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: भाजपा के एजेंडे में शामिल एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक को नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में लोकसभा में पेश कर दिया गया. इस विधेयक को लोकसभा ने 269 वोट से स्वीकार किया जबकि विरोध में 198 वोट पड़े हैं. यह बिल देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है.

कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां इस बिल का यह कहकर विरोध कर रही हैं कि इससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा और क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. जबकि भाजपा का कहना है कि इससे देश के संसाधनों की बचत होगी, जिसे विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने इस मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से बात की. उन्होंने कहा कि इस बिल को सरकार जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के पास भेज रही है, जिसमें विपक्षी पार्टियां भी शामिल होंगी और इसे सर्वसम्मति से ही पास किया जाएगा.

भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से बातचीत (ETV Bharat)

'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा, तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, महिला आरक्षण बिल जैसे अन्य मुद्दों के साथ भाजपा के एजेंडे में शुरू से ही शामिल था, और 2014 से जब से मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब से ही भाजपा बार-बार इस बिल को लाने की बात कहती रही है.

अब आखिरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर दिया गया. जैसी उम्मीद की जा रही थी कि विपक्षी पार्टियां पर इस बिल का विरोध करेंगी, ऐसा ही हुआ. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया. राजद के नेता तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कहा कि यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और सिर्फ एक व्यक्ति को खुश करने के लिए लाया गया है.

15 दलों ने किया बिल का विरोध
लोकसभा में कुल 15 दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक का विरोध किया. इनमें कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, AIMIM, शिवसेना (UBT), एनसीपी (SP) और अन्य शामिल हैं. वहीं, कुल 32 दलों ने विधेयक का समर्थन किया. इनमें मुख्य रूप से भाजपा, टीडीपी, शिवसेना, YSRCP, जेडीयू, बीआरएस और AIADMK शामिल हैं.

एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिन राज्य सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ, उन्हें केंद्र की तरफ से इस विधेयक को लागू करने के लिए निरस्त करना एक अलोकतांत्रिक प्रक्रिया होगी.

इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विरोध कर रहीं विपक्षी पार्टियां यह भूल रही हैं कि नेहरू के कार्यकाल में इसी व्यवस्था के तहत ही चुनाव हुए थे, तो क्या वो संघीय ढांचा के साथ खिलवाड़ था, उस दौरान कई चुनाव हुए तो क्या उन सारे चुनाव को निरस्त कर देना चाहिए जो नेहरू के कार्यकाल में हुए.

भाजपा नेता प्रेम शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां को यह पता होना चाहिए कि हाल ही में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव संसदीय चुनाव के साथ हुए और अलग-अलग पार्टियां की सरकार बनी तो क्या संसदीय चुनाव का असर उन राज्यों के चुनाव पर तब नहीं पड़ा.

कांग्रेस मात्र विपक्ष के कारण विरोध कर रही
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल होने के कारण कांग्रेस इसका विरोध कर रही है, मगर यह विधेयक सर्वसम्मति से इसी सदन में पारित किया जाएगा. ऐसी उम्मीद हमारी पार्टी और सरकार दोनों को है.

राज्य की चुनी हुई सरकार को उसके कार्यकाल खत्म होने से पहले कैसे अपदस्थ किया जा सकता है. इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि जब पहले की सरकारों ने कई बार राज्य की सरकारों को कार्यकाल खत्म होने से पहले अपदस्थ किया था तब कांग्रेस को ये व्यवस्था असंवैधानिक नहीं लगी थी. उन्होंने कहा कि यह बिल संसाधनों की बचत और देश के विकास में सहायक होगा.

यह भी पढ़ें- 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर हुई वोटिंग में BJP के 20 सांसद नदारद, यह एक्शन लेगी पार्टी

नई दिल्ली: भाजपा के एजेंडे में शामिल एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक को नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में लोकसभा में पेश कर दिया गया. इस विधेयक को लोकसभा ने 269 वोट से स्वीकार किया जबकि विरोध में 198 वोट पड़े हैं. यह बिल देश में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है.

कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां इस बिल का यह कहकर विरोध कर रही हैं कि इससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा और क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. जबकि भाजपा का कहना है कि इससे देश के संसाधनों की बचत होगी, जिसे विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने इस मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से बात की. उन्होंने कहा कि इस बिल को सरकार जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के पास भेज रही है, जिसमें विपक्षी पार्टियां भी शामिल होंगी और इसे सर्वसम्मति से ही पास किया जाएगा.

भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से बातचीत (ETV Bharat)

'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा, तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, महिला आरक्षण बिल जैसे अन्य मुद्दों के साथ भाजपा के एजेंडे में शुरू से ही शामिल था, और 2014 से जब से मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब से ही भाजपा बार-बार इस बिल को लाने की बात कहती रही है.

अब आखिरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर दिया गया. जैसी उम्मीद की जा रही थी कि विपक्षी पार्टियां पर इस बिल का विरोध करेंगी, ऐसा ही हुआ. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया. राजद के नेता तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कहा कि यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और सिर्फ एक व्यक्ति को खुश करने के लिए लाया गया है.

15 दलों ने किया बिल का विरोध
लोकसभा में कुल 15 दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक का विरोध किया. इनमें कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, AIMIM, शिवसेना (UBT), एनसीपी (SP) और अन्य शामिल हैं. वहीं, कुल 32 दलों ने विधेयक का समर्थन किया. इनमें मुख्य रूप से भाजपा, टीडीपी, शिवसेना, YSRCP, जेडीयू, बीआरएस और AIADMK शामिल हैं.

एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिन राज्य सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ, उन्हें केंद्र की तरफ से इस विधेयक को लागू करने के लिए निरस्त करना एक अलोकतांत्रिक प्रक्रिया होगी.

इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विरोध कर रहीं विपक्षी पार्टियां यह भूल रही हैं कि नेहरू के कार्यकाल में इसी व्यवस्था के तहत ही चुनाव हुए थे, तो क्या वो संघीय ढांचा के साथ खिलवाड़ था, उस दौरान कई चुनाव हुए तो क्या उन सारे चुनाव को निरस्त कर देना चाहिए जो नेहरू के कार्यकाल में हुए.

भाजपा नेता प्रेम शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां को यह पता होना चाहिए कि हाल ही में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव संसदीय चुनाव के साथ हुए और अलग-अलग पार्टियां की सरकार बनी तो क्या संसदीय चुनाव का असर उन राज्यों के चुनाव पर तब नहीं पड़ा.

कांग्रेस मात्र विपक्ष के कारण विरोध कर रही
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल होने के कारण कांग्रेस इसका विरोध कर रही है, मगर यह विधेयक सर्वसम्मति से इसी सदन में पारित किया जाएगा. ऐसी उम्मीद हमारी पार्टी और सरकार दोनों को है.

राज्य की चुनी हुई सरकार को उसके कार्यकाल खत्म होने से पहले कैसे अपदस्थ किया जा सकता है. इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि जब पहले की सरकारों ने कई बार राज्य की सरकारों को कार्यकाल खत्म होने से पहले अपदस्थ किया था तब कांग्रेस को ये व्यवस्था असंवैधानिक नहीं लगी थी. उन्होंने कहा कि यह बिल संसाधनों की बचत और देश के विकास में सहायक होगा.

यह भी पढ़ें- 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर हुई वोटिंग में BJP के 20 सांसद नदारद, यह एक्शन लेगी पार्टी

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