इंदौर:देश में 156 प्रकार की फिक्स्ड डोज कांबिनेशन वाली दवाइयों को प्रतिबंधित किए जाने के बाद अब देश की सभी फार्मा कंपनियों को गुणवत्तापूर्ण दवाइयां तैयार करनी होगी. इसी को लेकर मध्य प्रदेश के इंदौर में दवा निर्माता कंपनियों ने एक कार्यशाला आयोजित की. इस वर्कशॉप में बड़ी संख्या में फार्मा सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए. दरअसल, भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार गुणवत्तापूर्ण दवाइयों के निर्माण के लिए 'एम शेड्यूल' लागू किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई दवाओं को माना खतरनाक
भारत में बनने वाली कई दवाइयों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने खतरनाक माना है. दवाइयों के निर्धारित मानक के विपरीत पाया है. कई दवाइयां ऐसी हैं जो फायदा कम नुकसान ज्यादा पहुंचा रही हैं. इसी के चलते यह फैसला लिया गया है. भारत सरकार के खाद्य व औषधि नियंत्रक विभाग ने 6 जनवरी, 2023 को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम 1945 जिसे 'शेड्यूल एम' के नाम से जाना जाता है, को लागू किया है. शेड्यूल एम के तहत 250 करोड़ के ऊपर के टारगेट वाली कंपनियों को विश्व स्तरीय मानक वाली दवाइयों के निर्माण के लिहाज से 6 महीने में अपग्रेड किया जाना है. वहीं, इससे कम टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए भारत सरकार ने 1 साल की समय सीमा तय की है. तय समय के अनुसार अब सिर्फ 4 महीने ही बचे हैं.
वर्कशॉप आयोजित करके दी जा रही है जानकारी
सरकार के इस आदेश के बाद एमएसएमई के अंतर्गत आने वाली फार्मा सेक्टर की कंपनियां सजग हो गई हैं. सभी कंपनियों को शेड्यूल एम का पालन कराने के साथ क्वालिटी प्रोडक्ट वाली दवाइयां तैयार करने के लिए 'क्लस्टर इंटरवेंशन' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. जिसमें फार्मा सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को निर्धारित समय सीमा में गुणवत्तापूर्ण दवाइयां तैयार करने के हिसाब से जानकारी दी जा रही है. इंदौर के सिडबी में भी कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें खाद्य व औषधि नियंत्रक, मध्य प्रदेश और डिप्टी ड्रग कंट्रोलर, भारत सरकार की मौजूदगी में एमपी की दवा निर्माता कंपनियों को जानकारी दी गई. कंपनियों को निर्धारित समय सीमा के अन्दर शेड्यूल एम के नियमों का पालन करते हुए गुणवत्तापूर्ण दवाइयों के निर्माण की बात कही गई.