INDIAN RAILWAY BLANKETS CLEANING: ट्रेन के एसी कोच में मिलने वाले बेडरोल का उपयोग करते समय कई बार मन में इनके हाइजीन को लेकर सवाल उठते हैं. बेडरोल की धुलाई को लेकर हाल ही में कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदौरा ने भी रेल मंत्री से सवाल पूछा था. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में इसका लिखित जवाब दिया और बताया कि महीने में कम से कम एक बार कंबल की धुलाई जरूर होती है. रेलवे के बेडरोल को लेकर हुई किरकिरी के बाद अब रेलवे ने साफ किया है कि सभी चादरों और पिलो कवर को हर बार उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है. रेलवे ने बताया है कि आखिर इन चादरों और कंबलों की किस तरह धुलाई की जाती है.
हर दिन धुलते हैं 8000 बेडशीट
भोपाल मंडल के रेल प्रबंधक देवाशीषने बताया कि "भोपाल में रेलवे की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री हैं, इसमें आधुनिक मशीनों से बेडशीट, कंबल और पिलो कवर की न सिर्फ धुलाई की जाती है, बल्कि इनको प्रेस और सैनेटाइज भी किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले उपयोग किए गए लिनन (लिनन का मतलब सन के धागों से बना हुआ कपड़ा होता है. ज्यादातर चादर, कंबल, मेजपोश, बिस्तर, शर्ट लिनन के कपड़े से या कपास से बने होते हैं.) को लॉन्ड्री में पहुंचाया जाता है. इसके बाद इनमें से फंसे हुए लिनन को अलग किया जाता है.
इसके बाद लिनन पर दाग-धब्बों को हटाने के लिए उनका प्री-ट्रीटमेंट किया जाता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित किया जाता है कि धुलाई के बाद लिनन पूरी तरह से साफ हो.