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एकल पट्टा प्रकरण: नए तथ्यों के साथ आगामी जांच के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश - RAJASTHAN HIGH COURT

एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व जस्टिस की कमेटी की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं.

SINGLE LEASE CASE,  GOVERNMENT SUBMITTED APPLICATION
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 5, 2025, 8:58 PM IST

जयपुरःप्रदेश के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व जस्टिस आरएस राठौड़ की कमेटी की जांच में नए तथ्य सामने आने पर राज्य सरकार की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करके इन तथ्यों के आधार पर आगामी जांच की अनुमति मांगी गई है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से उस रिवीजन याचिका को भी वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया है. जिसमें राज्य सरकार ने मामले में पूर्व आईएएस जीएस संधू, ओंकार मल सैनी और निष्काम दिवाकर के अभियोजन को वापस लेने के प्रार्थना पत्र को एसीबी कोर्ट के खारिज करने को चुनौती दी गई है.

राज्य सरकार एएजी शिवमंगल शर्मा व विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने बताया कि इन अर्जियों में कहा है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर क्लोजर रिपोर्टस अधूरी व दोषपूर्ण साक्ष्यों पर की गई जांच के आधार पर थी और इसके चलते ही पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को मामले में राहत मिली थी. इसके अलावा मामले में जांच के लिए गठित हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस राठौड़ की कमेटी ने भी इस मामले की समीक्षा कर रिपोर्ट दी है. इसमें कई नए तथ्यों का खुलासा किया गया है. ऐसे में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने में गंभीर चूक हुई थी, जिससे महत्वपूर्ण दस्तावेजों और ठोस सबूतों की अनदेखी की गई, इसलिए राज्य सरकार ने इन गलतियों को सुधारने व भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है.

पढ़ेंःएकल पट्टा प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीजे ने शुरू की सुनवाई

राज्य सरकार की इन अर्जियों पर सीजे एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ 10 फरवरी को सुनवाई करेगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अशोक पाठक की एसएलपी पर इस मामले में 5 नवंबर 2024 को राजस्थान हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2022 व 17 जनवरी 2023 के उन आदेशों को रद्द कर दिया था, जिनमें पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल व पूर्व आईएएस जीएस संधू सहित जेडीए के तत्कालीन अफसरों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई खत्म कर दी थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को समीक्षा के लिए वापस राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे को भिजवाते हुए उन्हें कहा था कि वे इसमें नए सिरे से सुनवाई कर छह महीने में फैसला दें.

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