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फर्जी डिग्री गिरोह: शिक्षा विभाग के दो बाबू और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाला चढ़ा एसओजी के हत्थे - Fake degree

एसओजी ने फर्जी डिग्री गिरोह में शामिल शिक्षा विभाग के दो बाबू (यूडीसी) और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में अभी कई और लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. इनमें फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वाले भी शामिल हैं.

Fake degree
Fake degree

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 11, 2024, 8:24 PM IST

जयपुर. एसओजी ने फर्जी डिग्री मामले में शिक्षा विभाग के दो बाबू (यूडीसी) और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले एक शख्स को भी गिरफ्तार किया है. एसओजी की पड़ताल में इस गिरोह से जुड़े और फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी हासिल करने वाले कई और नामों का खुलासा हुआ है. जिन पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकी है. एसओजी-एटीएस के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि फर्जी डिग्री गिरोह से जुड़े शिक्षा निदेशालय के पूर्व एलडीसी (हाल यूडीसी सीबीईओ कार्यालय बीकानेर) मनदीप सांगवान और पूर्व एलडीसी (हाल यूडीसी करणी उच्च माध्यमिक विद्यालय, देशनोक) जगदीश को गिरफ्तार किया गया है. फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले राजगढ़ (चूरू) निवासी राकेश कुमार को भी एसओजी ने गिरफ्तार किया है.

बाबू ने पत्नी के लिए ली फर्जी डिग्री, पीटीआई बनाया :एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि गिरफ्तार मनदीप और जगदीश ने दलाल सुभाष के जरिए मनदीप की पत्नी सुमन को जेएस विश्वविद्यालय, शिकोहाबाद से बीपीएड की फर्जी डिग्री दिलवाई और पीटीआई भर्ती परीक्षा दिलवाई. इन्होंने पहले जो डिग्री ली, उसमें 15 अक्टूबर की तारीख थी, जिसके चलते जॉइनिंग में परेशानी आती. ऐसे में इन्होंने दूसरी फर्जी डिग्री निकलवाई और उस पर 23 सितंबर की तारीख अंकित की. विज्ञप्ति के अनुसार डिग्री 25 सितंबर से पहले की होनी चाहिए थी. फर्जी डिग्री से सुमन पीटीआई बन गई.

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खेल कोटे का फायदा दिलाने का भी षड्यंत्र :एसओजी की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि सुभाष, मनदीप और जगदीश गिरोह के अन्य गुर्गों के साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खेल कोटे का लाभ लेने के लिए विशेष योग्यता के अंक अर्जित करके देने के लिए अलग षड्यंत्र करते थे. मनदीप और जगदीश योग्य अभ्यर्थियों को तलाशकर पहले सौदा तय करते थे. उसके बाद सुभाष के माध्यम से ओपीजेएस या अन्य विश्वविद्यालय में फर्जी एडमिशन करवाते थे.

डमी खिलाड़ी भी उतरते मैदान में :लाभांश पाने वाले खिलाड़ियों के एडमिशन के साथ-साथ प्रोफेशनल खिलाड़ियों का भी एडमिशन करवाया जाता था. प्रतियोगिता में प्रोफेशनल खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय की ओर से खिलाते और लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों को रिजर्व में रखते. कई बार लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रोफेशनल खिलाड़ी को डमी के रूप में भी मेडल दिलवाते और अंक चिह्नित अभ्यर्थी को मिलते. इस पूरे षड्यंत्र में विश्वविद्यालय भी शामिल थे.

विश्वविद्यालय का विकल्प था राकेश :फर्जी डिग्री गिरोह में शामिल एक प्रिंटिंग प्रेस संचालक को भी एसओजी ने गिरफ्तार किया है. एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि जब किसी डिग्री कि व्यवस्था सुभाष फर्जी तरीके से विश्वविद्यालय से नहीं कर पाता था तो राकेश विकल्प बनता था. सुभाष राकेश के जरिए उसकी प्रिंटिंग प्रेस से फर्जी डिग्री छपवाकर देता था. पड़ताल में सामने आया है कि राकेश ने कई और भी जाली दस्तावेज प्रिंट करके दिए हैं.

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